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पेयजल के लिए मचा हाहाकार , पलायन के लिए लोग हो रहे मजबुर : डाo सुरेश पासवान

अम्बुज कुमार , खबर सुप्रभात

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डा सुरेश पासवान ने कहा है कि धरती और सम्पूर्ण जीव जंतुओं के लिए वर्षा ऋतु न सिर्फ जीवनशैली को प्रभावित करती है बल्कि नया जीवन का संचार भी पैदा करती है। इसलिए बिन वर्षा जीवन की कल्पना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। खेती किसानी का समय निकलता जा रहा है, किसानों का सब्र टुटता जा रहा है आकाश से मेघगर्जना भी गायब है मानो प्रकृति और मौसम एक साथ इंसानो का परीक्षा ले रहा हो। खेती किसानी से केवल किसान और मजदूर का घर परिवार ही नहीं चलता है बल्कि बाजार सहित सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था गुलजार होता है।वर्षा ऋतु के डेढ़ महीना बीत गया लेकिन इतना भी अभी तक वर्षा नहीं हुआ की चापाकल और पंपिंग सेट का वाटर लेवल उपर आ सके। विडंबना है की 90% चापाकल और शमरशेबल मोटर बंद हो कर बेकार साबित हो रहें हैं। पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है घर बार छोड़कर लोग अन्यत्र जा रहे हैं चूंकि पानी नहीं तो जिंदगानी नहीं वाली कहावत चरितार्थ हो रहा है।
डॉ पासवान ने कहा है कि इस विकराल स्थिति में डबल इंजन वाली मोदी नीतीश की सरकार पुरी तरह फेल साबित हो रही है चूंकि इस हालात से निपटने के लिए कोई भी रोड मैप इनके पास नहीं है। सत्रह वर्षों से श्री नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन एक भी मुक्कमल सिंचाई परियोजना नहीं है जो ऐसे समय में कारगर साबित हो रहा हो। जैसे उत्तर कोयल परियोजना, बंटाने हडियाही जलाशय योजना,सोन उच्चस्तरीय कैनाल,सोन कैनाल, पुनपुन उदवह सिंचाई परियोजना, कन्हर सिंचाई परियोजना,जमने सिंचाई परियोजना, ये सारी परियोजनाएं दक्षिण और मध्य बिहार की है जो वर्षों से आधे अधूरे स्थिति में पड़ी हुई है।वर्षा जल को अपनी सरकार की उपलब्धि बताने वाले सरकार की आज सरकारी पोल पट्टी खुलता दिख रहा, है। कृषि रोड मैप बाढ़ में बह गया या सुखाड़ में सुख गया कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा है। बिहार सरकार की कृषि रोड मैप के बारे में बड़ी बड़ी घोषणाएं हवा हवाई साबित हो रही है। आत्म चिंतन करने के बजाय अभी भी बयान बाजी से बाज नहीं आ रही है डबल इंजन वाली सरकार।
डॉ पासवान ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि अब सरकार को किसानों मजदूरों के हित में अविलंब सम्पूर्ण बिहार को सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर फौरी तौर पर वैकलपिक खेती एवं बड़े पैमाने पर राहत कार्य चलाना चाहिए।

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