औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में चल रहे केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा गरीब, दलित पिछड़े एवं समाज के लिए विकास एवं उत्थान हेतु योजनाओं की राशि को लूटने/ डकारने का कार्य अधिकारियों के मिली भगत से वेखौफ जारी है। तभी तो जनसिकायत के बावजूद पारदर्शिता पूर्ण

जांच कर डकारने वाले भ्रष्ट अधिकारियों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बदले जांच के नाम पर बचाव कार्य किया जा रहा है। इसकी खुलासा तब होता है जब दिनांक 20/09/2023/ पत्रांक 1778/पं० के द्वारा तत्कालीन जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा औरंगाबाद जिलाधिकारी को कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत ग्रामपंचायत परता में योजनाओं की जांच फर्जी प्रमाण पत्र पर सौंपें और इसी फर्जी प्रमाण पत्र पर कुटुम्बा के प्रखंड

विकास पदाधिकारी मनोज कुमार पटना उच्च न्यायालय में CWJCNO 5171/2023 में हलफनामा दाखिल कर दिया। इसकी जानकारी जब ग्रामीणों को मिली तो ग्रामीण स्तब्ध रह गए और कई ग्रामीणों ने तो न्यायालय में शपथपत्र देकर कहा कि परता ग्राम पंचायत के ग्राम/वार्ड सभा के उपस्थित पंजी में मेरे नाम का जो हस्ताक्षर बनाया गया है वह पुरी तरह से जाली और नकली हस्ताक्षर है।इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार ने पिछले दिनों मोबाइल फोन पर खबर सुप्रभात को बताते हुए सभी ढिकरा औरंगाबाद के जिलाधिकारी पर फोड़ अपने को पाक-साफ बताने का प्रयास करते रहे। प्रखंड विकास पदाधिकारी खबर सुप्रभात को जो तर्क हीन जानकारी खबर सुप्रभात को दिया है वह किसी भी एंगल से उचित नहीं लगता। चुके हलफनामा में प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार का आधार कार्ड तथा हस्ताक्षर और पता है तो फिर इसमें जिलाधिकारी कहां हैं यह समझ से बाहर का विषय है। बताते चलें कि प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी हरेंद्र चौधरी ने ग्राम सभा से संबंधित जो परता निवासी आकाश कुमार को आरटीआई से जो ग्रामीणों के उपस्थित का सूचना दिए हैं और तत्कालीन जिला पंचायत राज पदाधिकारी मंजू प्रसाद और प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार जो ग्रामीणों का उपस्थित और हस्ताक्षर होने का दावा किये हैं उसमें भी कोई मेल नहीं खाता है। अर्थार्त प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा आरटीआई से जो अभिप्रमाणित सूचना उपलब्ध कराया गया उसे भी उपरोक्त दोनों पदाधिकारी यानी तत्कालीन जिला पंचायत राज पदाधिकारी व प्रखंड विकास पदाधिकारी के नए झुठलाने का कार्य किया है। ऐसे में अब सवाल जनमानस के बीच सवाल उठ रहा है कि जब जिले में एक पंचायत में यह स्थिति है तो फिर जिले के अन्य सभी पंचायतों में भी इसी तरह फर्जीवाड़ा कर सरकारी राशि का बंदरबांट और घपला घोटाला हो रहा है और जांच के नाम पर लीपापोती और दोषियों को बचाने का कार्य किया जा रहा है।