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बालू माफियाओं से निपटना चुनौती साबित हो रहा बिहार पुलिस को, औरंगाबाद – नवादा में पुलिस की हत्या साबित कर रहा की समानांतर सरकार चला रहे हैं बालू माफिया


नवादा से डीके अकेला की रिपोर्ट


बिहार में बालू माफियाओं पर नकेल कसने और बालू के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर अंकुश लगाने और अवैध बालू का उत्खनन पर रोक लगाना बिहार पुलिस के लिए चुनौती भरे कार्य साबित हो रहा है। फलस्वरूप सोन नदी के दियारा क्षेत्रों में आए दिन बालू माफियाओं के बीच बर्चस्व को लेकर गोलीबारी, खनन विभाग के अधिकारियों तथा पुलिस

टीम पर हमला करने का खबर प्रकाश में आते रहता है। इसी तरह नवादा जिले के हिसुआ थाना क्षेत्र में 16 जुन ( रविवार) को बालू माफियाओं के दो गुटों में बर्चस्व को लेकर गोलीबारी की घटना पुनः 17 जुन सोमवार को सिरदला थाना क्षेत्र के ग्राम रेबिया में बालू लदे ट्रैक्टर को पीछा करने के क्रम में एक पुलिसकर्मी को ट्रैक्टर से रौद दिया गया, इसी तरह औरंगाबाद जिले के दाउदनगर थाना क्षेत्र में मुसे पुर खैरा गांव के पास बालू लदे ट्रैक्टर को पकड़ने के क्रम में एक पुलिसकर्मी को ट्रैक्टर से रौद कर हत्या कर दिया गया। उक्त घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि बिहार में बालू माफियाओं पर नकेल कसना आज बिहार पुलिस के लिए चुनौती भरे कार्य साबित हो रहा है यदि कहा जाए तो बालू माफियाओं का समानान्तर सरकार चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा। इस संबंध में नाम नहीं छापने के सर्त पर कई लोगों ने बताया कि इसके लिए सबसे ज्यादा कोई दोषी है तो स्थानीय थानों में पदस्थापित पुलिसकर्मी हैं। बताया जाता है कि स्थानीय बालू कारोबारियों से पैसा थाना को बंधा रहता है तथा इसी वजह से बालू माफियाओं का मनोबल बढ़ा रहता है और बालू का अवैध धंधा फल-फूल रहा है। दुःख का विषय यह है कि कभी कभार बालू माफियाओं के कुछ पुलिस निशाने पर आ जाते हैं और नाहक निशाना बन जाते हैं। नाम नहीं छापने के शर्त पर जानकार यह भी बताते हैं कि जिन बालू कारोबारियों द्वारा तय राशि स्थानीय थाना को समय पर पहुंचा देते हैं उनका धंधा फल-फूल रहा है तथा जो कारोबारी समय पर पैसा नहीं पहुंचाते हैं वैसे कारोबारियों तथा ट्रैक्टर अथवा ट्रक को पुलिस पकड़ने के लिए पीछा करती है और तब वे निशाना बन जाया करते हैं। स्थिति चाहे जो भी हो उक्त मामले का उच्चस्तरीय जांच कराने से सच्चाई प्रकाश में आएगा।