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तीन नया कानून से मिलेगा राहत , पढ़ें गौर से

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

राजद्रोह को हटाना और ‘देशद्रोह’ की व्याख्या

गुलामी की सभी निशानियों का समाप्त करना, अंग्रेजों का राजद्रोह कानून राज्यों (देश) के लिए नहीं बल्कि शासन के लिए था, ‘राजद्रोह’ जड़ से समाप्त, लेकिन, देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा, भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्य पर 7 साल तक या आजीवन कारावास

पुलिस की जवाबदेही में इजाफा

सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य, गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अनिवार्य, 3 वर्ष से कम कारावास/60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति

अनिवार्य

गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा, 20 से अधिक ऐसी धाराएँ हैं जिनसे पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी, पहली बार Preliminary Enquiry का प्रावधान करा गया

पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया

नस्ल/जाति/समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा आदि से प्रेरित हत्या/गंभीर चोट मॉब लिंचिंग, 7 वर्ष की कैद का प्रावधान, स्थायी विकलांगता 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास

विक्टिम-सेंट्रिक कानूनों के 3 प्रमुख फीचर्स

विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका, इनफार्मेशन का अधिकार और, नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार

जीरो FIR दर्ज करने को किया संस्थागत, अब FIR कहीं भी दर्ज कर सकते हैं, विक्टिम को FIR की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार, 90 दिनों के भीतर जाँच में प्रगति की जानकारी

नए आपराधिक कानून “दंड नहीं, न्याय केन्द्रित

सामुदायिक सजा: छोटे अपराधों में, भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप, 5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान, 6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज को समाहित किया गया

समय-सीमा निर्धारितः हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में मिल जाये न्याय

तरीख पर तरीख से मिलेगी मुक्ति, 35 सेक्शनों में टाइमलाइन जोड़ी गई, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में FIR दर्ज, यौन उत्पीड़न में जाँच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी, पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय होंगे, घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति की स्थिति में 90 दिनों के भीतर मुकदमा, आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा।

समय पर न्याय

समय-सीमा निर्धारितः हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में मिल जाये न्याय, तरीख पर तरीख से मिलेगी मुक्ति

35 सेक्शनों में टाइमलाइन जोड़ी गई

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में FIR दर्ज, यौन उत्पीड़न में जाँच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी, पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय होंगे, घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति की स्थिति में 90 दिनों के भीतर मुकदमा आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिनों के अंदर निर्णय देना होगा।

महिलाओं और बच्चों के अपराध

प्राथमिकताः महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध (पहले खजाने की लूट थी), BNS में ‘महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराध’ पर नया अध्याय, महिलाओं व बच्चों के अपराध से संबंधित 35 धाराएँ हैं जिनमें लगभग 13 नए प्रावधान है और बंकि में कुछ संशोधन , गैंगरेप: 20 साल की सजा/आजीवन कारावास, नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कारः मौत की सजा/आजीवन कारावास * झूठा वादा/पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है, पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला अधिकारी के सामने ही रिकॉर्ड, पीड़िता के अभिभावक की उपस्थित में होगा बयान दर्ज

विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनानी है

50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीक इसमें समाहित हो सकेंगी कम्प्यूटराइजेशनः पुलिस इन्वेस्टीगेशन से लेकर कोर्ट तक की प्रक्रिया

    E-records

    जीरो FIR, ई-FIR, चार्जशीट… डिजिटल होगी * 90 दिन में मिलेगी पीड़ित को जानकारी

      : 7 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में

      फोरेंसिक अनिवार्य, साक्ष्यों की रिकार्डिंगः जाँच-पड़ताल में साक्ष्यों की रिकार्डिंग को अनुमति वीडियोग्राफी अनिवार्यः पुलिस सर्च की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी, E-बयानः बलात्कार पीड़िता के लिए E-बयान कोर्ट में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी, E-पेशी: गवाहों, आरोपियों, विशेषज्ञों और पीड़ितों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेशी।