आलोक कुमार केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात
औरंगाबाद सदर अस्पताल में कुव्यवस्था और डाक्टरों तथा सिविल सर्जन का लपरवाही से आए दिन गरीब रोगियों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है जबकि सरकार द्वारा करोड़ों रुपए सदर अस्पताल में खर्च किया जा रहा है ताकि रोगियों को समय पर इलाज हो सके और बचाया जा सके। लेकिन यहां स्थिति यह है कि रोगियों को भगवान भरोसे या फिर माननीय के भरोसे इलाज होता है। बता दें कि बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक सह कुटुम्बा विधायक राजेश कुमार जब रोगियों से मिले शिकायत पर सिविल सर्जन कुमार बीरेंद्र से तिन बार मोबाइल फोन से बात

करने पर भी जब कोई असर नहीं हुआ तो वे सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किये। औचक निरीक्षण के क्रम में डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का लपरवाही का प्रकाष्ठा चरम पर पाया गया। एक मरीज का शिकायत था कि लगभग छः घंटा से सदर अस्पताल में भर्ती के लिए इंतजार कर रहा था लेकिन भर्ती नहीं लिया जा रहा था। जब विधायक सह विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राजेश कुमार खुद उस मरीज को भर्ती कराने के लिए काउंटर पर पहुंचे और पुर्जा स्वयं से कटवाया तब मरीज को भर्ती कराया गया। विधायक ने मिडिया के कैमरा में चिंता व्यक्त करते हुए कहे कि आप लोग खबर चलाएं और मैं सरकार को कारवाई के लिए लिखुंगा तथा उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री से भी

मिलकर स्थिति से अवगत कराउंगा। उन्होंने कहा कि जब जन प्रतिनिधियों को इतना नजर अंदाज किया जाता है तो आम लोगों को कितना परेशानी होता होगा इसकी अंदाजा लगाया जा सकता है। हद तो यह हुआ कि इमर्जेंसी वार्ड में बैठ कर इलाज कर रहे डाक्टर सुनील कुमार चौधरी के पास रोगियों के शिकायत के आलोक में जब विधायक सह सचेतक के पास पहुंच कर कुछ जानकारी लेने पहुंचे तो डाक्टर सुनील कुमार चौधरी ने प्रोटोकॉल का भी ख्याल नहीं रखते और माननीय विधायक को खड़ा होकर लगभग आधा घंटा तक इंतजार करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि 29 अक्टूबर को माननीय सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी सदर अस्पताल का दौरा किये थे उस क्रम में सदर अस्पताल में गंदगी से

निकल रहे दुर्गंध के कारण मौके पर उपस्थित सिविल सर्जन को जमकर फटकार लगाए थे लेकिन संवाद प्रेषण तक इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है।