केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात समाचार सेवा
भारतीय संविधान एवं भारतीय न्याय संहिता में हर व्यक्ति को अपना बचाव में अपना पक्ष रखनें हेतु वकिल रखनें का प्रावधान है। 26 / 1 1 की मुंबई की घटना को अंजाम देने का मास्टर माईंड अजमल कसाव को जव भारतीय पुलिस जींदा पकड़कर न्यायायिक हिरासत में भेजी तो न्यायपालिका नें भी कसाव को अपना पक्ष रखने हेतु वकिल रखनें का आदेश दिया था। भले ही न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद अजमल कसाव ( पाकिस्तानी आतंकवादी ) को फाँसी की सजा मिली । फिर भी राष्ट्रपति महोदय से क्षमा याचना की । नामंजूर होनें पर फाँसी दिया गया ।

ओबरा थाना क्षेत्र के खराँटी गाँव में अजीत कुमार सिंहा ( 4 7 Yr.) यदि गलत नियत से किसी के घर में घुँस गया था, तो घर वालों नें किस कानून के तहत् पीट – पीट कर हत्या कर दी । यह कहीं से भी कानूनी रूप से उचीत नहीं है। होना यह चाहिए था कि, अजीत पकड़ में आ ही गया था तो उसे स्थानीय पुलिस को सौंप कर गंभीर से गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया जाता । न कि स्वयं ही मृत्यु दंड देना कहीं से भी उचित नहीं प्रतित होता। न्याय पालिका उसके किएअपराध पर सुनवाई करती, अजीत के वकिल से बचाव का पक्ष लेती । तब जाकर दोषी पाये जानें पर कानूनी सजा देती । लेकिन खराँटी की घटना तो पुलिस एवं कानून पर एक सवालिया निशान है। आखिर जिले में अपराधी इतने बेलगाम कैसे हो गये जिन्हें न तो पुलिस का भय है और न कानून का ही ? पुछता है भारत ?