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लूट का धंधा बना भूसर्वेक्षण अभियान, लाखों मुकदमा है न्यायालय में लम्बित, नहीं लागू हुआ बंधोपाध्याय कमिटी का सिफारिशी


आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात एण्ड खबर सुप्रभात फास्ट न्यूज


बिहार में भूमि सर्वेक्षण अभियान इन दिनों लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ हुआ और इसके बाद प्रदेश में आपराधिक घटनाएं भी बढ़ जाने का खबर आए दिन सुर्खियों में रहा। आखिर भूमि सर्वेक्षण के पिछे सरकार का मंशा क्या है इसे आम – आवाम को बारीकी से समझने कि आवश्यकता है। 1906 में

ब्रिटिश हुकूमत ने पहला सर्वे कराया था जिसे C A सर्वेक्षण से जाना जाता है। इसके बाद 60 के दशक में R S सर्वे कराया गया। जब सर्वे कराया गया था उस वक्त सरकार के पास जमीन का दस्तावेज था। लेकिन अभी सरकार के पास अधिकांश दस्तावेज नष्ट हो जाने के कारण नहीं है। जब सरकार के पास दस्तावेज नहीं है तो सर्वे कितना पारदर्शिता व इमानदारी पूर्वक होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। दुसरा गौर करने का विषय यह है कि परिमार्जन और जमाबंदी और  के नाम पर मनमानी एवं वसुली का धंधा तेज हो गया तथा कहीं कहीं ग्रामीण गुटबाजी और ओक्षे राजनीति भी प्रारंभ हो गया। बिहार सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री ने राज्य के अंचलाधिकारी (C O) को पटना में बुलाकर गड़बड़ी नहीं करने तथा गड़बड़ी के शिक़ायत पर कारवाई करने का हेदायत दिये। लेकिन अभी तक किसी पर कोई कारवाई नहीं हो सका। 15 दिनों के अंदर परिमार्जन और जमाबंदी का निष्पादन नहीं होने पर भी कार्रवाई करने का घोषणा के बावजूद कहीं कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। लूट वसुली और मनमानी चरम पर है। अभी तक सर्वे से संबंधित किसी तरह का अधिकारिक बयान नहीं आ रहा है। राज्य में भूमि विवाद का लाखों मुकदमा भिन्न-भिन्न न्यायलयों में वर्षों से लम्बीत है जिसका निष्पादन नहीं हो सका है। जबतक लम्बीत मुकदमों का निष्पादन नहीं हो जाता है तो भूमि सर्वेक्षण हवा हवाई ही साबित होगा। बिहार में भूमि सूधार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही 2005 में बंगाल से मुखोपाध्याय को बुलाया गया था और मुखोपाध्याय कमिटी का गठन किया गया। लेकिन आज तक मुखोपाध्याय कमिटी का सिफारिशी लागू नहीं किया गया चुके सरकार के मंशा साफ नहीं था। राज्य में 21 लाख एकड़ भूमि सरप्लस है। भूमिहीनों को एक एकड़ भूमि तथा 10 डीसमील आवासीय भूमि उपलब्ध कराया जा सकता है लेकिन बिहार सरकार का मंसा साफ़ नहीं होने के कारण उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। फिलहाल बिहार सरकार तीन महिनों के लिए भूसर्वेक्षण का कार्य रोकने का घोषणा किया है तथा रैयतों को भूमि का कागजात बनाने का समय दिया है। लेकिन क्या तीन महीने में रैयत भूमि का कागजात बना लेंगे यह भी असंभ्व सा लगता है। यदि सचमुच में सरकार गंभीर है तो पंचायत मुख्यालय में राजस्व कर्मचारी आनलाईन करने के लिए डिजिटल ब्यवस्था करें तथा सभी खातियान के साथ किसानों के बीच बैठना चाहिए।