अम्बुज कुमार , खबर सुप्रभात
खरीफ-2022 मौसम में माॅनसून समाप्ति के पश्चात जिले में मधुवा कीट के प्रकोप की सूचना प्राप्त हो रही है। किसान भाईयों से अनुरोध है कि जिले में मधुवा कीट का प्रकोप बढ़ने के कारण धान फसल को काफी नूकसान हो रहा है। भूरा मधुआ कीट धान का रस तनों से चूसता है। ये हल्के भूरे रंग के होते हैं। वयस्क एवं बच्चे कीट पौधे के तने के आधार में रस चूसते हैं। अधिक रसश्राव के कारण पौधे पीले हो जाते है तथा जगह-जगह गोल चटाईनूमा क्षेत्र बनता है। जिसे हापर बर्न कहते हैं। अतः निम्न कीटनाशक का प्रयोग किसानों द्वारा किया जाय तो फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
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1 ) एसीफेट 75 प्रतिशत डब्लू पी 1.25 ग्राम प्रति लीटर अथवा
2) एसिटामेप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 0.25 ग्राम प्रति लीटर अथवा
3) बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एसपी 1.5 मिली प्रति लीटर अथवा
4) फिप्रोनिल 05 प्रतिशत एसपी 2 मिली प्रति लीटर अथवा
5) इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 1 मिली प्रति 3 लीटर अथवा
6) थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्लू पी 1 ग्राम प्रति 5 लीटर
सभी किसान भाईयो से अनुरोध है कि एक एकड़ में कम से कम 150-200 लीटर पानी का प्रयोग करेगें। साथ ही इसका छिड़काव 5-7 दिन बाद दोबारा करेगें। जिले में मधुवा कीट की रोकथाम हेतु कन्ट्रोल रूम की व्यवस्था की गयी है, जिसपर किसान भाई मधुवा कीट की समस्या से निदान हेतु जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
जिला कृषि कार्यालय, औरंगाबाद का टेलिफोन नं0- 06186-295020
जिला कृषि पदाधिकारी, औरंगाबाद- 9431818737
वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान,कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस, औरंगाबादः- 8757603485,9430949800
सहायक निदेशक, पौद्या-संरक्षण, औरंगाबादः- 938104048
सहायक निदेशक, प्रक्षेत्र, औरंगाबादः- 8210013554
पौद्या-संरक्षण पर्यवेक्षक, औरंगाबादः-9955383389