आलोक कुमार खबर सुप्रभात।
भाकपा (माओवादी ) प्रतिबंधित नक्सली संगठन के बिहार-झारखंड – छत्तीसगढ़ एस्पेशल एरिया कमिटी के सदस्य विजय यादव उर्फ संदीप यादव उर्फ रुपेश उर्फ बडे शाहब का मौत गया जिला के बांके बजार प्रखंड क्षेत्र के लूटुवा के जंगल में होने का खबर प्राप्त हो रहा है। जानकारी के अनुसार शिर्ष माओवादी नेता का शव पुलिस अपने कब्जा में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल कॉलेज गया में पहुंची है जहां सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त पुलिस के द्वारा किया गया है। कड़े सुरक्षा ब्यवस्था के बीच उनके परिजन शव को प्राप्त करने के लिए मेडिकल परीसर में जमे हुए हैं। उनके पुत्र सोनू के अलावे दर्जनों परिजन एवं रिश्तेदारों का मेडिकल परीसर में जमे हुए हैं तथा इसके अलावे हम पार्टी के महिला विंग के जिला अध्यक्ष रीना सिंह स्थानीय विधायक प्रतिनिधि भी पहुंच कर शोकाकुल परिवार को संतावना देने में लगे हुए हैं।

शिर्ष नक्सली नेता बिजय यादव गया जिले के बांके बजार प्रखंड के लूटुवा पंचायत के बाबूराम डीह नीवासी रामदेव यादव के बड़े पुत्र थे। उन्होंने छात्र जीवन से ही नक्शल विचार धारा से प्रभावित होकर छात्रों के बीच नक्शल विचार धारा का प्रचार प्रसार करने लगे और तब से जिवन प्रयत्न कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे और विपरित परिस्थितियों में भी वे अपने मिशन में लगे रहे तथा सामंतवाद और समाजिक विषमता के खिलाफ संघर्षरत रहे।

छात्र जीवन में वे एकड़ बार पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजे गये और जेल से रिहा होने के बाद वे अपने विचारों से ओतप्रोत होकर भुमिगत होकर हथियार बंद संघर्षों में शिमील हो गये तथा पार्टी में निरंतर संघर्ष का संचालन करने लगे। वे युद्ध कौशल में भी महारथ हासिल कर ब्यवस्था और सत्ता को आजिवन चुनौती देते रहे। उनके नेतृत्व और संघर्ष से खार खाए सामंती एवं आरजक तत्वों और ब्यवस्था और सत्ता का वे किड किडी बन गये। जानकारी के अनुसार वे बिहार सहित अन्य राज्यों में सैंकड़ों नक्शली घटनाओं को अंजाम देने के आरोपीत बनाया गया तथा तीनों राज्यों के सरकार और पुलिस के लिए शरदर्द बन गये। और तब उनके विरुद्ध सरकार और पुलिस अस्सी लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया। लेकिन अपने संघर्षों और विचारों के प्रति अडीग संदीप कभी भी बीचलीत नहीं हुए और अंततह उनका मौत जंगल में ही हुआ ।