अम्बा, औरंगाबाद (बिहार) खबर सुप्रभात
कुटुम्बा की हर पंचायत में मांडल स्कूल का संचालन करने का तैयारी किया जा रहा है तथा इसके लिए स्थानीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का बैठक का दौर चल रहा है। लेकिन इसके पहले जरुरत है कि प्रखंड क्षेत्र के गांवों में चलने वाले विद्यालयों में अधिकांश विद्यालयों का स्थिति यह है कि विद्यालय खुलने का समय सारणी केवल विभाग के फाइलों में है लेकिन विद्यालयों के शिक्षक समय सारणी को ब्यवहार में नहीं उतारा पाते हैं। विद्यालय कब खुलेगा और कब बंद होगा यह सब शिक्षकों के मनमर्जी पर निर्भर करता है। ” बारह बजे लेट नहीं और दो बजे भेंट नहीं ” चरितार्थ देखने को मिल जायेगा कुटुम्बा के अधिकांश विद्यालयों में।

इस संबंध में परता नावाडीह के एक अभिभावक मो० ऐनूल हक अंसारी को कहना है कि प्रत्येक पंचायतों में मांडल सकूल संचालन करने का सोंच अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को होना एक स्वागत योग्य एवं सराहनीय कदम है लेकिन आज अधिकांश विद्यालयों का समय पर खुलने और बंद होने का समय सारणी सरकार और विभाग द्वारा जो निर्धारित है उससे अलग कुछ शिक्षकों द्वारा अपना मनमानी और इक्षानुशार विद्यालय खोलने और बंद करने का परिपाटी बना चुके हैं और जब ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जाता है तो शिक्षकों द्वारा दवंगता से विरोध का स्वर दबाने का षड्यंत्र रचा जाता है।इसकि जानकारी जब स्थानीय विभागीय अधिकारी को दिया जाता है तो निदान और कारवाई के बदले शिक्षकों को बचाव पक्ष में थोथी दलील दिया जाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय अधिकारी का मिली भगत से ही प्रखंड क्षेत्र में शिक्षा ब्यवस्था चौपट हो रहा है।मो० ऐनूल वें आगे बताये की विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब छात्र छात्राओं के साथ भेद भाव का नीति अपनाया जा रहा है। गरीब छात्र छात्राओं को मिलने वाले छात्रवृत्ति और पोषाक योजना के राशि वितरण में भी मनमानी एवं धांधली किया जा रहा है। कुछ न कुछ बनावटी कारण बताकर गरीब छात्रों छात्राओं को पहला दिया जा रहा है तथा जो संपन्न छात्र छात्रा हैं उनका दो दो जगह विद्यालयों में नाम रहने के बावजूद लाभान्वित हो रहे हैं और गरीब छात्र छात्राओं के साथ हकमारी कर रहे हैं। उन्होंने मिडिया के माध्यम से सरकार और जिला प्रशासन को ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुरे मामले को उच्चस्तरीय जांच कराने का मांग किया है ।