आलोक कुमार , खबर सुप्रभात
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिला समाहरणालय से जिलाधिकारी और इनके अधिनस्थ अधिकारियों द्वारा हर मामले में समाहरणालय से हरी झंडी दिखाकर रथ रवाना किया जाता है। रथ रवाना करना केवल खानापूर्ति और रश्म अदायगी तक सिमट कर रह गया है। अधिकारी रथ निकालर हरी झंडी देखाते हुए मिडिया में अपना तस्वीर तो देखा ये हैं लेकिन परिणाम सीफर रहता है। पिछले माह जिलाधिकारी और उनके अधिनस्थ अधिकारियों द्वारा समाहरणालय से हरी झंडी दिखाकर मोबाइल रथ निकाला गया था उस मोबाइल रथ का मूल उद्देश्य था कि गर्मी में लोगों को पेयजल संकट से बचाना और इसके लिए मोबाइल सेवा का ब्यवस्था करना था। मामूली यांत्रिक गड़बड़ी के कारण खराब पड़े चपाकलों का मरम्मत कर चालू कराना और बिहार सरकार के द्वारा संचालित नल जल योजना के तहत लगे नल जहां मामुली यांत्रिक गड़बडी को रिपेयर करना। इसके लिए औरंगाबाद लोकस्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (phed ) कार्यालय में नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया और जिले के सभी पंचायतों में राशि भी आवंटित किया गया तथा सभी पंचायतों में एजेंसी भी बहाल किया गया लेकिन सब कुछ अभी तक बेकार और हवा हवाई साबित हो रहा है। जिला में सायद हि पंचायत अथवा वार्ड में नल जल योजना से पेयजलापूर्ति हो रहा है। भिषण गर्मी चरम पर है ग्रामीणों को पेयजल संकट से जुझना पड रहा है लेकिन जिलाधिकारी द्वारा हरीझंडी दिखाकर रवाना किया गया रथ और सेवा अभितक केवल खानापूर्ति साबित हो रहा है।
कुटुम्बा प्रखंड के परता पंचायत में वार्ड संख्या 14 देउरा महादलित बस्ती में लगे नल जल योजना विगत दो तीन माह से ठप है , दधपा पंचायत जगदीशपुर पंचायत में भी अनेकों पानी टावर मामूली यांत्रिक गड़बड़ी के कारण बेकार साबित हो रहा है लेकिन अभी तक ठिक नहीं कराया जा सका है। इसी तरह पुरे जिला का यही हाल है