अभिभावक गोष्ठी: स्कूल और अभिभावकों के बीच संवाद का सेतु

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, औरंगाबाद में आज एक अभिभावक गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना, बच्चों की शैक्षिक प्रगति पर चर्चा करना और स्कूल

की नई योजनाओं को साझा करना था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री अमन शेखर जी और गोष्ठी प्रमुख के रूप में श्री रवि रंजन आचार्य जी उपस्थित रहे।गोष्ठी का शुभारंभ का शुभारंभ वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसने समारोह को एक आध्यात्मिक और शुभ शुरुआत प्रदान की। इसके पश्चात माया दीदी जी ने प्रस्तावना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने स्कूल के उद्देश्यों और अभिभावकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। मंच संचालन का दायित्व श्री रामकिंकर आचार्य जी ने बखूबी निभाया, जिससे कार्यक्रम सुचारु और प्रभावी ढंग से संचालित हुआ।प्रधानाचार्य श्री नीरज कुमार कौशिक जी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “अभिभावकों का सहयोग बच्चों की शिक्षा और समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मंच के माध्यम से हम एक-दूसरे के विचारों को समझकर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।” गोष्ठी में शिक्षकों ने बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन, सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों और अनुशासन से संबंधित जानकारी अभिभावकों के साथ साझा की।अभिभावकों ने स्कूल की गतिविधियों, परीक्षा प्रणाली और डिजिटल शिक्षा के उपयोग पर अपने सुझाव और प्रश्न उठाए। कई अभिभावकों ने स्कूल की नई पहलों, डिजिटल लर्निंग लैब या खेल सुविधाएं, लाइब्रेरी, पाठ्यक्रम पठन पाठन की सराहना की। अतिथि अभिभावक, श्रीमती इंदु जी, ने कहा, “ऐसी गोष्ठियां हमें स्कूल की कार्यप्रणाली को समझने और अपने बच्चों की प्रगति पर नजर रखने का अवसर प्रदान करती हैं।”मुख्य अतिथि श्री अमन शेखर जी ने अपने संबोधन में शिक्षा में अभिभावकों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “शिक्षा केवल स्कूल की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि घर और समाज का भी दायित्व है। ऐसी गोष्ठियां इस सहयोग को मजबूत करती हैं।कार्यक्रम का समापन श्री विवेकानंद मौर्य आचार्य जी द्वारा शांति मंत्र के पाठ के साथ हुआ, जिसने समारोह को एक आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त किया। स्कूल प्रशासन ने भविष्य में भी ऐसी गोष्ठियों को नियमित रूप से आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई ताकि अभिभावकों और स्कूल के बीच निरंतर सहयोग बना रहे।यह आयोजन न केवल अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद का एक मजबूत मंच साबित हुआ, बल्कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सामूहिक प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी रहा।