छात्रवृति की राशि घोटाला मामले में आरोपी पुनम कुमारी ने जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर दी सफाई, एक अन्य प्रभारी प्रधानाध्यापिका अनीता  कुमारी व बीईओ पर किया संदेह ब्यक्त, जांचोपरांत कारवाई सुनिश्चित करने का पुनम कुमारी ने किया मांग

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद: जिले के कुटुंबा प्रखंड में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर एक बार फिर प्रशासनिक सुस्ती और भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्ष 2015 में हुए इस घोटाले के मुख्य आरोपी के रूप में पुनम देवी का नाम सामने आया था, लेकिन दस साल बाद भी वह प्रशासन की पकड़ से बाहर हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या यह मामला भी जांच की धीमी रफ्तार और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा?

क्या है मामला?

सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2015 में कुटुंबा प्रखंड के परता मध्य विद्यालय की तथाकथित प्रभारी प्रधानाध्यापक पुनम देवी के नाम पर पंजाब नेशनल बैंक की रिसियप शाखा में एक फर्जी खाता खोला गया। इस खाते के माध्यम से दलित, पिछड़े और गरीब छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि—करीब 16 लाख रुपये—गबन कर लिए गए। ब्याज सहित अब यह राशि लगभग 32 लाख रुपये तक पहुंच गई है।

किस पर है संदेह?

घोटाले के सिलसिले में परता निवासी पुनम कुमारी, जो कि प्राथमिक विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं, को जिला सर्टिफिकेट पदाधिकारी द्वारा अम्बा थाना से नोटिस तामिल कराया गया है। नोटिस मिलने के बाद पुनम कुमारी और उनके परिजन सकते में आ गए हैं।

पुनम कुमारी ने जिला जनशिकायत निवारण पदाधिकारी, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर गुहार लगाई है कि उनका इस घोटाले और फर्जी खाते से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें महिला होने के कारण अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है।

किसका नंबर, किसका खाता?

पुनम कुमारी के अनुसार, उक्त फर्जी खाते के आवेदन में जो मोबाइल नंबर दर्ज है, वह प्राथमिक विद्यालय भलूवाडी खुर्द की प्रभारी प्रधानाध्यापक अनीता कुमारी के पुत्र का है। उल्लेखनीय है कि अनीता कुमारी पर पहले भी छात्रवृत्ति की राशि गबन करने का आरोप लग चुका है, और उस मामले में रिकवरी भी कराई गई थी। पुनम कुमारी ने सवाल उठाया है कि क्या अनीता कुमारी और तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए? अब तक नहीं खुला रहस्य दस साल बीतने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि गरीब और दलित छात्रों की छात्रवृत्ति की राशि आखिरकार किसने हड़पी। यदि समय रहते निष्पक्ष और प्रभावी जांच होती, तो शायद आज दोषियों को सजा मिल चुकी होती। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह जांच भी सिर्फ फाइलों में दबकर रह जाएगी? इस संबंध में पुनम कुमारी ने खबर सुप्रभात के संपादक सह निदेशक आलोक कुमार से बातचीत में अपनी पीड़ा साझा की है, जिसे हम आगे विस्तृत रूप में प्रस्तुत करेंगे।