औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय से निर्गत पत्र जिसका पत्रांक 4223सथा० दिनांक 14/6/2025 है। उक्त पत्र राजकिय मध्य विद्यालय परता ( कुटुम्बा ) के तथाकथित प्रभारी प्रधानाध्यापक पुनम देबी के नाम से निर्गत किया गया है। पत्र में उल्लेख है कि परता गांव निवासी

आलोक कुमार छात्रवृत्ति मद्द के 16 लाख घोटाला करने का आरोप लगाये हैं। इस संबंध में आलोक कुमार ने जानकारी मिलते ही जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में डीपीएम (स्थापना ) दयाशंकर सिंह से उनके मोबाइल नम्बर पर संपर्क कर जानने का प्रयास किया है कि यदि मेरे द्वारा कोई आरोप लगाया गया है तो उस आरोप को सार्वजनिक किया जाये। आलोक ने कहा कि वर्ष 2015 में परता मध्य विद्यालय के फर्जी प्र० प्रधानाध्यापक पुनम देबी द्वारा गरीब दलित एवं पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति देने के बजाय पंजाब नेशनल बैंक रिसियप में खाता खोलकर 16 लाख रुपए घोटाला कर लिया गया है। और इसकी जांच भी बहु पूर्व से चल रहा है।जांच में उक्त फर्जी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध जिला निलाम पत्र पदाधिकारी द्वारा सर्टिफिकेट नोटिस तामिला अम्बा थाना के माध्यम से कराया गया है।इस संबंध में पुनम कुमारी प्रभारी प्रधानाध्यापक पतिला (कुटुम्बा ) के द्वारा जिला कल्याण पदाधिकारी एवं सांख्यिकी पदाधिकारी औरंगाबाद को आवेदन देकर गुहार लगाया गया है कि मेरा परता मध्य विद्यालय और उक्त बैंक खाता से कोई मतलब नहीं है और नहीं मेरा कोई हस्ताक्षर अथवा फोटो अथवा अन्य कोई पहचान है। जब उक्त मामला प्रकाश में आया तो मैं खबर सुप्रभात के पोर्टल पर संवाद प्रकाशित किया कि आखिर कौन है पुनम देबी जो फर्जी प्रधानाध्यापक बनकर छात्रवृत्ति मद्द के 16 लाख रुपए का घोटाला किया? इसके साथ ही जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जांच कराने के लिए ध्यान आकृष्ट कराया। लेकिन मेरे द्वारा उठाए गए सवालों से जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय ( स्थापना ) आनन-फानन में तथ्यहीन और बेबुनियाद पत्र निकाल कर आखिर क्या हासिल करना चाह रहा है? क्या इस घोटाले के स्केंडल में जिला शिक्षा पदाधिकारी (स्थापना ) भी तो शामिल नहीं है? यदि नहीं तो जांच के दिशा को भटकाने का प्रयास और मामले में नया मोड़ देने का प्रयास क्यों किया गया है?