जिले में बेखौफ हुए अपराधी, पुलिस का कामसिर्फ पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम कराना भर रह गया है

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा


औरंगाबाद जिले में अपराधियों और पुलिस के बिच लुका- छिपी का खेल तो शुरू से ही चलते आ रहा है। लेकिन इन दिनों अपराधियों के बिच खाकी वर्दी का खौफ विल्कुल ही समाप्त हो चुका है। आयेदिन किसी की हत्या की नियत से जानलेवा हमला तो किसी को लाठी – डंडे से दिन के उजाले में पिट – पिट कर हत्या हो रही है। ऐसे में पुलिस का काम

सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करना पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमार्टम कराने भर रह गया है। नवीनगर थाना क्षेत्र के चंद्रगढ़ से लाइव्रेरी ( निजी शिक्षण संस्थान ) से अध्ययन कर लौट रहे युवक को पूर्व से ही घात लगाये अपराधियों नें लाठी -डंडे एवं लोहे के रॉड से मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया । जिसका ईलाज सदर अस्पताल औरंगाबाद में किया जा रहा है। इस संवंध में थानाध्यक्ष नवीनगर से जव पक्ष लिया गया तो उन्होंने कहा कि हत्या के प्रयाश के तहत् सुसंगत धाराओं में केश दर्ज कर लिया गया है। अपराधियों के घर – पकड़ हेतु छापेमारी जारी है । वे अभी फरार चल रहे हैं, शीघ्र ही गिरफ्तारी कर ली जायेगी ।
सवसे ताजा बेहतर पुलिसिंग को धता बताने वाली घटना आज ओबरा थाना क्षेत्र के खराँटी में घटी है। जहाँ सुवह चार बजे के करीव एक अधेड़ व्यक्ति को अपराधियों नें लाठी – डंड़े से पिट -पिट कर हत्या कर दी। मृतक की पहचान अजीत कुमार सिंह ( 4 7 yr.) के रूप में हुई है। इस संवंध में दाउद नगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी का अधिकारिक व्यान काफी विचारणीय है। घटना स्थल से महज डेढ़ किलोमिटर की दूरी पर मुख्य सड़क किनारे स्थित खराँटी गाँव है। घटना रात्री में घटती है, तथा पुलिस को सूचना साढ़े चार से पाँच बजे के करीब मिलती है। पुलिस पी. ओ. पर छः बजे के करीब पहुँचती है। हत्या का कारण मृतक का हत्यारों के बच्ची से नाजायज संबंध बनानें का प्रयाश बताया जाना कहीं से भी उचित प्रतित नहीं होता है। थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाय कि अगर अजीत सिंहा गलत कार्य करनें की नियत से घर में घुँस भी गया था तो उसे पकड़कर पुलिस के हवाले करना चाहिए था । न कि तालिवानी फरमान की तरह पीट- पीट कर हत्या कर देना । भारत का संविधान इस तरह का कृत्य करनें का इजाजत कतई नहीं देता। इससे तो साफ जाहिर होता है कि पुरे जिले में अपराधियों का मनोबल काफी हाई है। खाकी एवं कानून का भय रतिभर भी नहीं है। भले ही हम बेहतर पुलिसिंग का ढ़ोल पिट लें, लेकिन नवीनगर और ओबरा की घटना एक आईना बन चुका है। आईना कभी झुठ नहीं बोलता ।