बिजली है का मतलव – फिलामेंट का चमकना, पंखा का हिलना ( ग्राम दशवत खाप का गाउण्ड जीरो रिर्पोट )

सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा


मानव की शुरू से ही तीन मुख्य आवश्यकतायें रही है – – भोजन, वस्त्र और आवास । आवास की आवश्यकता के साथ बिजली, पानी, सड़क, बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य, मोबाईल इंटरनेट आज की दौर में अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है। सोंचिये जरा – – इस भीषण गर्मी में यदि एक सप्ताह से कोई गाँव बिजली सुबिधा से बंचित रहे, तो वहाँ के नागरिकों की परेशानी क्या रही होगी ? यही हाल है नगर पंचायत मदनपुर के ग्राम दशवतखाप का। यहाँ विगत एक सप्ताह से दक्षिणी भाग का ट्रान्सफार्मर जल चुका था। काफी जदोहद् के बाद कल रविवार को शाम चार बजे के करीब विभाग द्वारा लगाया गया । रात्री 12 बजे बिजली आपूर्ति बहाल की गयी । लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी कि अब पंखा – कुलर का हवा मिलेगा । पीनें का पानी हेतु नल जल तथा निजी मोटर पंप चलेगें। लेकिन यह क्या – रौशनी के नाम पर फिलामेंट जल रहे हैं, पंखा के नाम पर सिर्फ डैनें घुम रहे हैं । निजी मोटर एवं नलजल तो चलही नहीं रहे हैं। भोल्टेज नापनें पर मात्र 100 volt बताता है। सारे गाँव वालों की खुशी कपूर बनकर उड़़ गयी। पुरे गाँव में मात्र एक ही चापाकल ईश्वरीय संयोग से चल रहा है, जहाँ 2 4 घंटे पानी लेने वालों की लम्बी कतारें लगी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है – – इस तालिबानी व्यवस्था के लिए दोषि कौन ? बिजली विभाग, सरकार या फिर गाँव वालों की तकदीर । भीषण गर्मी, जलस्तर का नीचे चले जाना, बकरीद के त्यौहार पर बिजली का नहीं मिलना क्या यही डबल इंजन की सरकार है। विधायक, सांसद किस मुँह से यहाँ वोट माँगने आते हैं। क्या जितनें पर संविधान की शपथ यही लेते हैं कि जनता मुलभुत सुवधाओं से भी बंचित रहे। कहाँ है सरकार ? क्या जिलाधिकारी महोदय एक रात दशवतखाप में बिना बिजली पानी के बिताना चाहेंगे? गाँव वाले किससे करें फरियाद कोई सुननें वाला नहीं । ग्राम दशवतखाप में तालिबानी व्यवस्था नहीं है, तो और क्या है ? पुछता है भारत ?