आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात समाचार सेवा
आज देश में सत्ता संरक्षीत संगठनों और एनडीए के घटक दलों ने जिस तरह धर्म के आधार पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास कर रहे हैं तथा आरोप प्रत्यारोप का मुहिम चला रहे हैं उससे लगता है कि देश में गृहयुद्ध के माहौल कायम करने में जुट गए हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य

2025 में बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोटों का धुर्विकरण करने के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता है। वोटों का धुर्विकरण कर वोट तो लिया जा सकता है लेकिन देश और देश के संवैधानिकता मूल्यों के साथ खिलवाड़ कर देश के आर्थिक राजनैतिक संप्रभुता को खतरे में डालना और देश में गृहयुद्ध के वातावरण तैयार करना कहां तक देश भक्ति कहा जायेगा यह एक राष्ट्रीय बहस का विषय है। पीछले दिनों नई दिल्ली में अकबर रोड़ के बोर्ड पर तथा कथित हिंदू संगठनों द्वारा कालिख पोती गई और गौ रक्षा दल और हिन्दू संगठनों द्वारा न सिर्फ कालिख पोती गई बल्कि जय भवानी के नारे भी लगाए। क्या यह सच्चाई नहीं है कि उक्त तथा कथित हिंदू संगठनों का वर्तमान सत्ता का संरक्षण प्राप्त है? फीर महाराष्ट्र विधानसभा में सपा विधायक अब्दुल आज़मी को विधानसभा में जिस तरह का कारवाई का सामना करना पड़ा। फीर बिहार में एनडीए के प्रमुख घटक दल जदयू – भाजपा के नेताओं ने जिस तरह नुरा कुस्ती कर रहे हैं और मिडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं उससे क्या यह नहीं लगता कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर वोटों के धुर्वीकरण करने के लिए जनता के मूल सवालों से ध्यान भटकाने का एक सोची समझी रणनीति है तथा औरंगजेब के नाम पर प्रदेश और देश में माहौल ख़राब करने तथा गृह युद्ध के माहौल तैयार करने का घृणित प्रयास है? बीजेपी कोर्टे के मंत्री बब्लू सिंह निरज, भाजपा के विधायक डॉ ० संजीव तथा जदयू के एमएलसी गुलाम गौस, जदयू के ही एमएलसी खालिद अनवर जिस तरह नुरा कुस्ती मिडिया के कैमरे में ब्यान देकर कर रहे हैं वह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं माना जाएगा। यदि नहीं तो फिर इतना नफरत के बावजूद आखिर एक गठबंधन में कैसे हैं? क्या वोटों के धुर्वीकरण करने के लिए जनता को मूर्ख बनाना तथा राज्य में भड़काऊ ब्यान देना यह नहीं कहा जा सकता है कि ये लोग गृह युद्ध के माहौल तैयार करने में लगे हुए हैं? यदि हां तो यहां शासन – प्रशासन को आखिर हिम्मत क्यों नहीं हो रहा की ऐसे माहौल ख़राब करने वाले तथा कथित राजनेताओं के विरुद्ध कठोर कारवाई की जाये। यदि हिम्मत नहीं तो फिर यह क्यों नहीं माना जाए कि यह सब सरकार के इशारे पर जनता को मूलभूत सवालों से ध्यान भटकाने के लिए नुरा कुस्ती का खेल खेला जा रहा है?