खबर सुप्रभात से सुनील कुमार सिंह
144 वर्षों के बाद नव ग्रहों तथा सताइस नक्षत्रों के दिव्य संयोग से तीर्थराज प्रयागराज के संगम क्षेत्र में सनातन के विभिन्न पंथ उपपंथ के सिद्धहस्त संतों के द्वारा विश्व मंगल की कामना को लेकर दिव्य अनुष्ठान निर्विघ्न संपन्न हो गया। यहाँ पवित्र गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती नदियों के मिलनें से त्रिवेणी संगम की अलौकिक छवि का दर्शन के लिए देवतागण अपने-अपने स्थान को छोड़कर प्रयागराज( प्रकृति ) में उपस्थित हो गए संत महात्माओं के अलावा निर्बल हृदय सनातनियों ने दृश्यता का प्रत्यक्ष अनुभव किया।

ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत को लेकर देवताओं एवं दानवों के बीच छीना – झपटी, भागम – भागी हुआ था, जिससे अमृत की बुँद प्रयाग राज संगम क्षेत्र में छलक कर गीर गयी थी । तभी से यहाँ अर्द्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ तथा महाकुंभ के सुअवशर पर अमृत स्नान ( पहले शाही स्नान ) की परंपरा चली आ रही है। यह आस्था सनातन संस्कृति की रीढ़ मानी जाती है। 2025 के 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक कुल 45 दिनों के स्नान में पुरे विश्व से आकर लगभग 6 6 करोड़ सनातनियों नें आस्था की डुबकी लगाकर दैहिक, दैविक एवं भौतिक संतापों से मुक्ति पायी। सिर्फ 26 फरवरी को महा शिवरात्री की अमृत स्नान के दिन संध्या 6 बजे तक के सरकारी आंकड़े के अनुसार O 1 करोड़ 4 4 लाख लोगों नें आस्था की डुबकी लगायी।
टूट गये कमाई के सारे रिकार्ड्स:- – हमारे देश के ही कुछ सेक्युलर कहे जानें वाले नेता यह कहते सुनें गये कि कुंभ से बेरोजगारी और गरीवी थोड़े ही मिटती है । तो कुंभ महा फालतु है। कुंभ की व्यवस्था ठीक नहीं थी, लोग गंदे पानी में स्नान कर रहे थें । ऐसी मानसिकता वाले तथा अपने आप को सेक्युलर छवि बतानें वाले इन तथाकथित राजनेताओं को अपनें गिरेबान में झाँक कर देखना होगा – यह देश अब अंग्रेजों का इंड़िया नही रहा, अब यह सनातनियों का भारत देश बन चुका है। यह बाबा साहब के संविधान को अक्षरतः पालन करते हुए गाँधी जी की रामराज की परिकल्पना को साकार करनें की ओर बढ़ चुका है। जिसका नेतृत्वकर्ता योगी एवं मोदी को भारत मान चुका है। सरकारी आंकड़े के अनुसार तीन लाख करोड़ से ज्यादा की कमाई महाकुंभ के सुअवशर पर हो चुकी है। महा कुंभ मेले से यू.पी. सरकार को टैक्स के रूप में 25 हजार करोड़, मेला क्षेत्र से 2.5 लाख करोड़ का लेन देन हुई है। आई.टी. एवं डिजिटत सेवायें से 1000 करोड़ की कमाई, होटल व्यावसाय से 40 हजार करोड़, खाना व्यावसाय से 2 0 हजार करोड़, प्रसाद व्यवस्था से 20 हजार करोड़, स्वास्थ्य सेवापें से 0 3 हजार करोड़, प्रचार – प्रसार व्यवस्था से 10 हजार करोड़,ट्रेभल व्यवस्था से 10 हजार करोड़ एवं ट्रांसपोर्ट ववस्था से भी 10 हजार करोड़ की कमाई हुई है।
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‘ ” महा कुंभ में राष्ट्र दिखा, कास्ट नहीं ” – – – महाकुंभ में डुबकी लगानें जानें वाले सनातनियों के बीच सिर्फ राष्ट्र की भावना दिखी, कास्ट की नहीं । आध्यात्मिक परंपरा की प्रकाष्ठा पश्चिम की भौतिकवादी परंपरा का परित्याग कर आत्म शुद्धि हेतु डुबकी लगाया,अंतः प्रेरणा से प्रेरित होकर । भगवान लोभी, कामी, सेक्युलर और वामी को नजर नहीं आते। महाकुंभ में आस्था जीती, दुस्प्रचार हारा । यहाँ आचार्य और धर्माचार्य एक ही घाट पर डुबकी लगाते देखे गये। जागा हिन्दू, महा कुंभ रहा केन्द्र बिन्दू । पुरे मेला क्षेत्र में 3 0 पीपा पुल बनाये गये थें, 4 2 घाट निर्माण,6 7 हजार स्ट्रीट लाईटें लगायी गयी थी । पुरे मेला क्षेत्र में डेढ़ लाख अस्थायी शौयालयों का निर्माण कराया गया था । मेला क्षेत्र की सभी सड़के लोहे की चादरें देकर बनाई गयी थी, ताकी आनें -जाने में सुगमता हो सके। अकेले महा शिवरात्री के दिन अमृत स्नान करनें वालों के उपर हेलिकोप्टर से 20 क्विंटल गुलाब के फुलों की पंखुडियों से बारीश की गयी । सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर दुसरा हिन्दू महा कुंभ 2025 में स्नान कर सनातन विरोधियों की बोलती बंद कर दिया ।*
- महाकुंभ के दिव्य अनुष्ठान में संतो के द्वारा निर्मित वैदिक हवन कुंड से निरंतर राष्ट्रमंगल के मंत्र की ध्वनि गूंज रही थी। यह मंत्र की ध्वनि एक संप्रभुता संपन्न राष्ट्र बनने की आशा से जीवंत थी तथा यह उन करोड़ों सनातनियों की आशा को पूर्ण करने का महामंत्र था जो भारत को पुनः विश्व विजय के सिंहासन पर आरूढ़ करने की संकल्पना को सिद्ध करने वाला दिव्यास्त्र सिद्ध हो रहा था किंतु यह ध्वनि राष्ट्र विरोधी तथा भारत के मूल संविधान के विरोधी गिरोह को सुनाई नहीं पड़ी। उनके गिरोह में सिर्फ निस्तबद्धता थी। उनके कुनबे में सन्नाटा था और यह गिरोह हक्के-बक्के से दिखाई दिए क्योंकि यह महासंगम इनके लिए सर्वनाश की घंटी तो थी ही साथ ही साथ राष्ट्र भक्तों के सामने स्वर्णिम भारत का उज्जवल स्वर्ग खड़ा दिख रहा था।