औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
जिला पदाधिकारी औरंगाबाद जहां चंद मीडिया कर्मियों के माध्यम से मुख्यमंत्री के उपलब्धियों को गिना रहे थे, वही मुख्यमंत्री के प्रगति यात्रा के ठीक 1 दिन पहले 10 फरवरी 2025 को प्रदर्शनकारी डीलर एसोसिएशन ने जिला प्रशासन के विरुद्ध भड़ास निकालकर मुख्यमंत्री के प्रगति यात्रा पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री हाय- हाय, मुख्यमंत्री मुर्दाबाद किनारो से जहां बिहार प्रदेश के
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औरंगाबाद जिले की धरती गूंज रहा था । वहीं औरंगाबाद समाहरणालय के मुख्य द्वार पर औरंगाबाद जिले के विभिन्न प्रखंड से पहुंचे डीलर के नारे इस बात को इंगित कर रहा था की पीडीएफ योजना के तहत उपभोक्ताओं को मिलने वाले चावल जिला प्रशासन के द्वारा डीलर को घटिया दिया जाता है और बोरा में 50 किलो के जगह 45 किलो चावल या गेहूं डीलर को दिया जाता है।
अब सवाल उठता है कि आखिर वह खराब चावल कहां से गोदाम में आता है और पीडीएस योजना के अच्छे चावल जाता कहां है ,अच्छे चावल की जगह खराब चावल डीलर क्यों दिया जाता है ? और जो अच्छे चावल की खरीदारी सरकार द्वारा की जाती है वह किस मार्केट में बिकता है और इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार कौन है। अब सवाल उठता है की जिले के अधिकारी डीलर से कमीशन खाते हैं और 50 किलो की बोरियां में 45 किलो चावल देते हैं और चावल या गेहूं घटिया देते हैं तो फिर डीलर के विरुद्ध कार्रवाई करने का नाटक जिले के अधिकारी क्यों खेलते हैं ? गरीबों के आहार को बेचवाकर कमीशन ले ही लेते हैं तो डीलर के विरूद्ध जांच पर जांच क्यों चलता है? उद्देश्यों से भटक चुके अधिकारी जिला पदाधिकारी एवं मुख्यमंत्री के नाम पर गरीबों के राशन को बेचवाकर जब कमीशन ले ही लेते है उसका कमिशन जिलाधिकारी या मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचता है तो फिर जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री महोदय मामले की जांच करने से क्यों कतराते है। यह अहम सवाल,गहन जांच का विषय है?