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अखिल भारतीय किसान सभा ने केंद्रीय बजट की प्रतियां जलाई

नवादा से डी अकेला की रिपोर्ट


सीपीआई (एम) की नवादा जिला इकाई ने आज नवादा में केंद्रीय कमिटी के आह्वान के अलोक में एनडीए सरकार द्वारा पेश की गई केंद्रीय बजट की प्रतियां जलाई। सीपीआई(एम) के जिला सचिव डॉ नरेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025 कॉरपोरेट घरानों,पूंजीपतियों और अमीरों के हित व

फायदे के मध्येनजर बनाया गया है। यह पूर्णतःगरीब विरोधी खासकर किसानों ,मजदूरों तथा गरीबों की आजीविका पर घोर कुठाराघात करने वाला बजट है। सीपीआई(एम) के केंद्रीय कमिटी के आह्वान् पर 5 फ़रवरी को सम्पूर्ण भारत में विरोध प्रदर्शन की सशक्त कार्यवाही की जायेगी।साथ ही साथ केंद्रीय बजट की प्रतियां जायगी।
वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा लोकसभा में पेश किया केंद्रीय बजट पूरी तरह गरीब विरोधी है। यह बजट स्पष्ट तौर पर कॉरपोरेट घरानों, दलाल पूंजीपतियों और अंगुली पर गिने अमीरों के लिए एक लाभ तथा लूट की छूट देने की एक मात्र उद्देश्य से सुनियोजित शाजिस के तहत बनाया गया है। अखिल भारतीय किसान सभा के नवादा जिला सचिव रामयतन सिंह ने कहा कि भले ही सकल उत्पाद में कृधि व सम्बद्ध क्षेत्रों का योगदान बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है ,लेकिन कृषि व सम्बद्ध गतिविधियों के लिए बजट आवंटन 2024-25 के संधोधित अनुमानों से बिल्कुल कम है। जहाँ2024-25 का संधोधित अनुमान 376720 करोड़ रूपये था, वहाँ2025-26 के लिए आवंटन केवल 371687.35 करोड़ रूपये है।जबकि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए ,यह आवंटन में बहुत बड़ी कटौती है। 2020-21से कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए वास्तविक व्यय में लगातार गिरावट आई है।स्पष्ट रूप से किसान भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की प्राथमिकता कतई नहीं है।
सीपीआई (एम) नेता मुकलेश प्रसाद ने कहा कि एमएसपी के क़ानूनी गारंटी सुनिश्चित करने,खरीद का विस्तार करने या किसानों के कर्ज मुक्त करने के लिए बजट में कुछ भी नहीं है।यहाँ तक कि लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश को भी अनदेखा कर दिया गया है।
CPIM नेता गौरी शंकर पासवान ने कहा कि रोजगार में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। यह 2017-18 के 44.1प्रतिशत से बढ़ कर2023-24 में 46.1प्रतिशत हो गई है,जो शहरी क्षेत्रों के रिवर्स माइग्रेशन का संकेत दिखता है,क्योँकि रोजगार के अवसर नहीं बचे हैं। बेहद असंवेदनशील तरीके से मनरेगा के लिए बजट आवंटन सिर्फ 86000 करोड़ रूपये रखा गया है। ग्रामीण इलाक़ों में रोजगार सृजन पर कोई जोर नहीं दिया गया है। CPIM नेता विपिन सिंह ने कहा कि सरकार राष्ट्रिय विकास संस्थान के लिए सभी फ़ंड रोक रखी है और इसके लिए बजट आवंटन कुछ भी नहीं है। यह ग्रामीण विकास व ग्रामीण गरीबों के प्रति भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार की घोर उदासीनता दर्शाता है। खाद्य सब्सीडी के लिए किया गया आवंटन भी 2024-25 से बहुत कम है। कल्याणकारी योजनाओं के तहत राज्य/ केंद्र शाषित प्रदेशों को डालो के वितरण के लिए आवंटन शून्य है,जबकि पिछले बजट में इसके लिए 300 रुपए आवंटित किए गए थे। बहू- प्रचारित 12 लाख रूपये आयकर में छूट का उद्देश्य त्वरित चुनावी लाभ प्राप्त करना मात्र है।
बढ़ती कीमतें ,बढ़े हुए अप्रत्यक्ष करो और लगातार होती खाद्य, स्वास्थ्य,शिक्षा ,यात्रा व्यय में बृद्धि के कारण इस छूट के कोई मायने नहीं बचेंगे। सरकार की प्रमुख योजना * प्रधान मंत्री फसल योजना *के लिए आवंटन में 15864 करोड़ रूपये से 12242.27 करोड़ रूपये की भारी कटौती की गई है।प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के लिए आवंटन में कोई भी बृद्धि नहीं हुईं है। इस योजना में 2019 से जब इसे पहली बार शुरू किया गया था ,तब से मुद्रास्फीति के लिहाज से कोई समायोजन नहीं किया गया है।खाद्य सब्सिडी 171298.50 करोड़ रूपये से घटाकर 167887,20 करोड़ रूपये कर दिया गया है। यानि 3411.30 करोड़ रूपये की कटौती। डालो के लिए आत्मनिर्भर मिशन की 6 वर्षीय पहल के लिए मात्र 1000 करोड़ रूपये का कुल आवंटन सरकार की खोखले दावे की पोल खोलता दिखाई साफ झलकता है। विडंबना यह है कि उक्त दावा उस सरकार की ओर से किया गया है जिसने सिर्फ 10 दिन पहले अरहर/ तुर के शुल्क मुक्त आयात को बढ़ावा दिया है तथा मोजाम्बिक व अन्य देशों में किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। 2024 में दालो का आयात लगभग दुगना होकर 60 लाख टन (जनवरी से नवम्बर के बीच ) हो गया। इस दावे में कोई न्य बात नहीं है कि एन.ए.एफ.ई.डी और एन.सी. सी.एफ मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अगले 4 वर्षों तक दालों की खरीद करेंगे।यह केवल इस तथ्य को उजागर करता है कि निजी क्षेत्रं में एमएसपी कीमतों पर खरीदने के लिए तैयार नहीं होगा। धन ध्यान कृषि योजना की घोषणा की गई है,जिदमें दावा किया गया है कि यह कम पैदावार वाले 100 जिलों को कवर करेगीऔर 1.7 करोड़ किसानों को लाभान्वित करेगी। लेकिन इसके लिए अलग से कोई आवंटन नहीं किया गया है। यह केवल मौजूदा कार्यक्रमों का ही नवीनीकरण है
रबर के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष या जंगली जानवरों के खतरे को कम करने के लिए कोई आवंटन नहीं किया गया है।
अखिल भारतीय किसान सभा देश भर की इकाइयों से बजट की प्रतियां जलाने और 5 फ़रवरी को संयुक्त किसान मोर्चे एवम् केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की विरोध कार्यवाहियों को व्यापक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया है।