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ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल नबीनगर, जिला के वरीय अधिकारी भी है लापरवाह , समाजसेवी ने सक्षम न्यायालय व मानवाधिकार आयोग से लगा सकते हैं गुहार


अम्बा ( औरंगाबाद) खबर सुप्रभात समाचार सेवा


औरंगाबाद जिले के नबीनगर विद्युत आपूर्ति प्रमंडल ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों का जमकर हनन कर रहा है और जिले के वरीय अधिकारी ( विद्युत विभाग) या तो इस मामले में लपरवाह हैं या फिर उनके मिली भगत से मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। बताते चलें कि नबीनगर विद्युत आपूर्ति प्रायः शाम ढलते ही ठप कर हों जाया करता है और

कितने देर तक ठप रहेगा यह तो विभागीय अधिकारियों पर ही निर्भर करता है। उल्लेखनीय है कि शाम ढलते ही विद्युत आपूर्ति प्रमंडल नबीनगर से संचालित हरदता, जमुआ तथा बैरांव फीडर से बिजली का आंख-मिचौली शुरू होता है। बिजली का आंख-मिचौली शुरू होते ही बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित होता है तथा पुरे ग्रामीण इलाका अंधेरे में डुब जाया करता है। चुके सरकार द्वारा किरोसीन तेल का आपुर्ती नहीं किया जाता है। बिजली आपूर्ति बाधित रहने से ग्रामीणों के बीच पेयजल सप्लाई भी ठप हो जाया करता है चुके इस इलाके में पेयजल के लिए ग्रामीण सरकार द्वारा चलाए गए नल – जल ब्यवस्था पर निर्भर हैं। चंद लोग जो साधन संपन्न हैं वे तो वैकल्पिक व्यवस्था करने में सक्षम है लेकिन 95 प्रतिशत ग्रामीण वैकल्पिक व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं। इस स्थिति में ग्रामीणों को लाचारी के जिवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस संबंध में अम्बा के वयोवृद्ध समाजसेवी जनेश्वर सिंह ने खबर सुप्रभात को बताये की बिहार सरकार के गाइड लाइन है कि शाम होने के बाद बिजली आपूर्ति निर्वाध गति से होना चाहिए और इसके लिए सभी तरह का तैयारी दिन में ही विभाग को कर लेना चाहिए। उन्होंने आगे बताये की बिजली आपूर्ति आम लोगों को मौलिक अधिकार है और मौलिक अधिकारों का हनन किसी भी सरकारी अधिकारी एवं कर्मियों द्वारा करना जघन्यतम अपराध के श्रेणी में आता है। यदि स्थिति यही रहा और विभागीय अधिकारीयों एवं कर्मियों द्वारा मोलिक अधिकारों का हनन बेख़ौफ़ जारी रहा तो बाध्य होकर सक्षम न्यायालय और मानवाधिकार आयोग के समक्ष गुहार लगाने के लिए बाध्य होंगे।