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सीओ कुटुम्बा के द्वारा निर्गत धान न रोपने की तानाशाही नोटिस पर किसान संघर्ष समिति को आपत्ति

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

किसान संघर्ष समिति द्वारा यह बयान जारी किया जाता है कि भारतमाला बनारसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य में प्रभावित गांवों के कृषकों को अब तक उचित मुआवजा नहीं मिला है। ऐसी स्थिति में किसानों को खेती-बाड़ी कार्य से रोकना बिल्कुल अन्यायपूर्ण है। काश धान न रोपने की तानाशाही नोटिस निकालने के पहले सीओ कुटुम्बा रैय्यतीकरण के मुद्दे पर ध्यान देते तो ज्यादा जनहित का कार्य होता. सीओ का आदेश तो जनकल्याण के लिए होना चाहिए, न की कम्पनी का एजेंट बनने के लिए। जब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल जाता, वे अपनी आजीविका को रोकने के लिए मजबूर नहीं किए जा सकते। अंचलाधिकारी द्वारा जारी किए गए आदेश में किसानों को कृषि कार्य रोकने के लिए कहा गया है, जिससे एक्सप्रेसवे का कार्य बाधित न हो। किसान संघर्ष समिति का मानना है कि यह आदेश न केवल किसानों के आर्थिक नुकसान का कारण बनेगा बल्कि उनके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करेगा। किसान संघर्ष समिति का यह स्पष्ट मत है कि जब तक किसानों को उनके मुआवजे की पूरी राशि नहीं मिल जाती, उन्हें खेती-बाड़ी कार्य करने से रोका नहीं जाना चाहिए। मुआवजा प्राप्त करने के बाद ही एक्सप्रेसवे निर्माण कार्य में रुकावट को टाला जा सकता है। नबीनगर के अंचलाधिकारी निकहत परवीन द्वारा किसानों को धमकाया जाना और यह कहना कि सारी जमीन सरकार की है और किसान उसके किराएदार हैं बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह किसानों के संवैधानिक कानूनी अधिकार अनुच्छेद 300(a) के तहत उनके संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन है। भोले-भाले किसानों को इस प्रकार धमकाने से उनमें आक्रोश और नाराजगी बढ़ रही है जिससे उनका आंदोलन और उग्र हो सकता है। किसान संघर्ष समिति यह भी उल्लेख करती है कि भू-अर्जन के मामले में अब तक किसानों को मुआवजे के नाम पर केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों को एलपीसी(लैंड कम्पेनसेशन) के नाम पर टरकाया जा रहा है। सरकार की ओर से विकास और मुआवजे के मुद्दों पर मुस्तैदी की कमी साफ दिखाई दे रही है। बकाश्त और मालिक गैर-मजरुआ के रैय्यतीकरण के मुद्दे पर भी प्रशासनिक उदासीनता ने किसानों के मन में गहरा असंतोष प्रकट किया है. आखिर प्रशासन रैय्यतिकरण कब करेगी यह स्पष्ट करे. इन सभी मुद्दों को देखते हुए, किसान संघर्ष समिति की मांग है कि तुरंत किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए और उनकी खेती-बाड़ी कार्य को बाधित न किया जाए। अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो किसान संघर्ष समिति आगे की रणनीति तय करेगी और आंदोलन को और उग्र करेगी। फिलहाल किसान संघर्ष समिति नें प्रभावित किसानों को अपनी अपनी जमीनों पर खेती करने का सलाह दिया है। अगर प्रशासन के लोग खेती को बाधित करेंगे तब समिति भी बाध्य होकर उनपर न्यायालय में मुकदमा करेगी। प्रेस रिपोर्ट जारी करते समय अभय सिंह, जगत सिंह, वशिष्ठ सिंह विनय सिंह, राजन तिवारी और राजकुमार सिंह उपस्थित रहे।