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मगही के पुरोधा भरत सिंह का निधन, दौड़ा शोक की लहर

डीके अकेला नवादा खबर सुप्रभात समाचार सेवा



पुरे देश में और खासकर बिहार में मगही भाषा व साहित्य की समृद्धि के लिए जीवनपर्यंत से संघर्ष करने वाले जाने-माने शिक्षाविद ,समीक्षक, लेखक, सम्पादक और योजस्वी वक्ता डॉ भरत सिंह का दिल का दौरा पङने से गया के राजापुर स्थित आवास पर सोमवार को अहले सुबह निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। उनके आकस्मिक निधन की खबर आते ही पुरे मगध प्रमंडल में शोक की लहर दोड़ पड़ी वे पिछले ही साल मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के प्रोफेसर एवं मगही विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनका दाह- संस्कार गया के प्रसिद्ध विष्णुपद श्मशान घाट पर किया गया। उनकी अंतिम अंत्येष्टि यात्रा में बङी संख्या में शिशाविद, साहित्यकार और मगही प्रेमी शामिल हुए। उनसे शिद्दत से जुङे संझाबाती साहित्यक पत्रिका के संपादक कवि कथाकार हेमंत कुमार, महेंद्र सिंह जी, कृष्ण सिंह, अजय सिंह इंटक नेता गया जिला, राम पुकार सिंह नरेंद्र सिंह पूर्व मुखिया, उमा संकर सिंह, विनय सिंह, ने बताया कि नवादा जिले के पचङा गांव निवासी भरत सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई । उन्होंने उच्च विद्यालय ओङो, नवादा से मैट्रिक और टीएस कॉलेज हिसुआ से इंटर की परीक्षा पास की। स्नातक की पढ़ाई एस एन कॉलेज वारसलीगंज से पुरी की। हलांकि मगध विश्वविद्यालय से एम ए द्वय ( हिंदी और प्राकृत ) व पीएचडी की डिग्री हासिल हुई। वे लगभग 10 वर्षों तक टीएस कॉलेज हिसुआ में हिन्दी के प्राध्यापक रहे। बाद में मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्रोफेसर और मगही विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे। मगही भाषा और साहित्य के उत्थान से इतर कुछ भी नहीं सोचने वाले भाई भरत बाबू ने दर्जनों मगही पुस्तकों का सृजन एवं सम्पादन किया , मगही वासियों के लिए एक अद्वितीय अनमोल थाती है।