औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिले में डीएम और एसपी के आदेश को भी कनीय अधिकारियों द्वारा नजर अंदाज करने तथा आदेश पत्र को कुडा दान में डाल दिया जाता है। जब अपने वरीय अधिकारियों के आदेश भी कनीय अधिकारियों द्वारा हवा

हवाई कर दिया जाता है तो आम लोगों का जिले में क्या हाल होगा इसकी अंदाजा सहजता पूर्वक लगाया जा सकता है। वैसे तो जिला में दर्जनों मामले में वरीय अधिकारियों का आदेश वर्षों से कुडा दान में पड़े का हुए हैं जिससे स्पष्ट जाहिर होता है कि जिला में भ्रष्टाचार, मनमानी चरम पर है और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों द्वारा अपने वरीय अधिकारियों के आदेश को भी हवा हवाई आदेश मानकर कुडा दान में आदेश पत्र को डाल देते हैं। फिलहाल औरंगाबाद के जिलाधिकारी का पत्रांक 6764/0 दिनांक 24/8/2023 के तहत ज़िला शिक्षा पदाधिकारी को प्राप्त आदेश तथा पुलिस अधीक्षक का पत्रांक 256/लो० सू०दिनांक 27/7/2023 के तहत अम्बा थाना को प्राप्त आदेश अभी तक हवा हवाई साबित हो रहा है और अपने वरीय अधिकारियों का आदेश को कुडा दान में फेंक दिया गया है। औरंगाबाद जिले में अपने वरीय अधिकारियों का आदेश को कुडा दान में डालने अथवा नजर अंदाज करने का मामला से जहां औरंगाबाद जिला प्रशासन पर भी सवालिया निशान लगा रहा है वहीं प्रदेश में तथा कथित सुशासन और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस के सरकार के दावे का असलियत उजागर कर रहा है। बताते चलें कि औरंगाबाद जिले में भ्रष्टाचार और मनमानी पर पर्दा डालने और अपने नाकामी को छुपाने के लिए आरटीआई कानून को भी ठेंगा दिखाया जा रहा है और समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यदि कभी कभार किसी धिकारियों द्वारा सूचना उपलब्ध भी कराया जाता है तो आधे अधूरे तथा विषय वस्तु से अलग हटकर सूचना उपलब्ध कराया जाता है और सूचना मांगने वाले अनावश्यक भिन्न भिन्न प्राधिकार में अपील दायर कर समय सीमा के भंवरजाल में उलझे रहते हैं और इधर भ्रष्टाचार में शामिल अथवा भ्रष्टाचार के संरक्षक अधिकारियों का चांदी कटते रहता है।