आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात समाचार सेवा
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सीटों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुई लड़ाई से इंडिया अलायंस को लेकर दलों के बीच चल रहे कई गलतफहमियां दूर हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश के बयानों और कांग्रेस में शिर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप से मामला सुलझाने के बाद दो बातें साफ

हो गई। पहली ये कि विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी की जीद, तथा आम आदमी पार्टी की हठ और कांग्रेस की सख्त रूख से स्पष्ट हो गया कि इंडिया का गठन राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकजुटता और भाजपा के खिलाफ लोकसभा में विपक्ष का एक कद्दावर उम्मीदवार उतारने की मोटी सहमति तक ही सिमीत है। इसका विधानसभा या उससे निचले स्तर का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। दूसरी बात यह स्पष्ट हो गई कि जिस राज्य में इंडिया अलायंस कि जिस पार्टी का प्रभुत्व होगा ड्राइविंग सीट पर वही पार्टी होगी। और बाकी दल रोडा़ नहीं बनेंगे सूत्रों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 270 सीटें कांग्रेस के पास रहेगी। जबकि 270 सीटें अन्य सहयोगी दलों को देने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार दिसंबर के पहले हफ्ते में इंडिया की समन्वय समिति की बैठक होगी। इसमें गठबंधन के शीर्ष नेताओं की पहली बैठक का फैसला होगा। इस दौरान कैंपेन कमिटी संयुक्त रैलियों का रूपरेखा तय करने में जुटी है। संयुक्त रैलियों के लिए पटना, नागपुर, कोलकाता और चेन्नई को प्राथमिकता में रखा गया है। इनके अलावा तीन वर्किंग गुटों की बैठकें भी चल रही है। इनमें सोशल मीडिया, शोध और मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सीटों के बंटवारे और इसके फार्मूला को लेकर अनौपचारिक वार्ताओं के दौर समन्वय समिति की बैठक के सदस्यों के बीच संवाद चल रहे हैं। समन्वय समिति की अभी एकमात्र बैठक हुई है। उसमें तय किया था कि अक्टूबर के आखिर तक कोई फार्मूला निकल आएगा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से कांग्रेस ने इस बारे में पांज बटन दबा रखा है। इंडिया गठबंधन के बाकी दलों ने इस बात को समझा है कि कांग्रेस का जोर चुनावों पर लगाना चाहती है। केरल की 20, बंगाल की 42, पंजाब की 13 और दिल्ली की 7 सीटों को बंटवारे के लिए कठिन मानते हुए सबसे आखिरी फैसले के लिए रखा गया है। केरल में यह बटवारा होना संभव नहीं लगता जबकि बंगाल में जो भी सहमति बनेगी वह कांग्रेस और तृणमूल के बीच ही बनेगी पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सहमति के लिए पूरी ताकत झोकनी पड़ सकती है। इन चार राज्यों में 82 सीटें हैं। फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर मोटी सहमति के अनुसार 270 सीटें ऐसी है। जहां कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर होगी। जबकि बाकी 270 सीटें ऐसी है जहां गठबंधन के दलों को सीटों का साझा करना है। इनमें चार राज्यों के लिए बंटवारे का फैसला स्टेट यूनिटों पर छोड़ा जा रहा है। जबकि चार राज्य कठिन माने गए हैं। इसलिए उनका फैसला पार्टी के शीर्ष नेता करेंगे महाराष्ट्र की 48, बिहार की 40, तमिलनाडु की 39 और उत्तर प्रदेश की 80 सीटें कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना उद्धव, द्रमुक, जेडीयू, राजद और सपा मिलकर करेगी। इन राज्यों में 197 सीटें हैं।