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क्रान्तिकारी किसान यूनियन का राज्य स्थापना दिवस संपन्न

पलामू संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा


9 जून को बिजराहा स्थित बिरसा मुंडा हाल में क्रांतिकारी किसान यूनियन का राज्य स्थापना सम्मेलन संपन्न हुआ। सम्मेलन में रांची, पलामू, गढवा, लातेहर और अन्य जिलों से आए 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता बृजनन्दन मेहता ने की तथा संचालन विजय चौरसिया और अशोक पाल ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर क्रांतिकारी किसान मजदूर यूनियन


के राज्य सम्मेलन के दौरान जारी कार्यक्रम एवं मांगपत्र झारखंड के भूमिहीन गरीब किसानों में कम से कम 2 एकड़ जमीन वितरित की जाए, विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत किसानों की बेदखली बंद की जाए और विस्थापित किसानों के लिए उचित पुनर्वांस एवं मुआवजा की व्यवस्था की जाए, आदिवासी किसानों के जन जीवन एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जल जंगल जमीन एवं पहाड़ को सुरक्षित किया जाए, किसानों की सभी फसलों एवं वन उपज को एम एस पी तय की जाए और उनकी खरीद के लिए उचित संख्या में सरकारी मंडियाँ बनाई जाए, झारखंड के कृषि विकास की योजनाओं पर सालाना बजट में उचित रकम आवंटित किया जाए, झारखण्ड के खेतों में सिंचाई की व्यवस्था के लिए उचित उपाय किए जाएं, झारखंड के खेत मजदूरों के लिए गांव में रोजगार की व्यवस्था की जाए और इनके लिए मनरेगा को ठीक से लागू किया जाए, किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था करने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित कुटीर उद्योग स्थापित किए जाएं, किसानों एवं ग्रामीण मजदूरों पर वन विभाग द्वारा किए गए सभी मुकदमों को वापस लिया जाएं, झारखण्ड के किसानों, ग्रामीण मजदूरों एवं झारखण्ड के जेलों में बंद तमाम निर्दोष राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाएं, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को बंद किया जाए और सभी भ्रष्टाचारियों को कठोर सजा दी जाए, खेत मजदूरों की बढायी जाए और मनरेगा की मजदूरी कम से कम 500/- रूपये प्रतिदिन किया जाए। मनरेगा में साल भर काम करने की गारंटी दी जाएं, किसानों एवं खेत मजदूरों के सारे कर्जे (बैंकों एवं निजी) को रद्द किया जाए, किसानों को सभी फसलों की एम एस पी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी टू प्लस फिफ्टी के अनुसार दिया जाएं, सरकार द्वारा तमाम कानूनों, वैध अवैध या कागजतों के षड़यत्र के तहत लुटी गई 21.5 लाख एकड़ जमीन किसानों को वापस किया जाएं, गैरमजरूवा, भूदान एवं तमाम सरकारी जमीन को बन्दोबस्त कर आनलाइन रसीद निर्गत की जाए, खेती में लगे मजदूरों एवं किसानों को 60 साल की उम्र के बाद कम से कम 5000 रूपये प्रतिमाह किसान-मजदूर पेंशन दी जाए।

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