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शहर से लेकर गांवों तक पानी के लिए मचा ह-हाकार, अमृत योजना व मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना पर उठ रहा सवाल, रोम जल रहा है नीरो बंशी बजा रहे हैं: महेन्द्र सिंह

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिला मुख्यालय सहित जिले के दक्षिणी हिस्से में इन दिनों पेयजल संकट गंभीर रूप लेते जा रहा है। जिला मुख्यालय के प्रायः सभी वार्डों में पेयजल संकट इस कदर गहराने लगा है कि शहरवासी एक दुसरे जगह से पीने के लिए पानी को रहे हैं। आलम यह है कि शहर में लगभग छः

से सात सौ तक समरसेबल और चपा कल जवाब दे दिया है। जिले के दक्षिणी क्षेत्र मदनपुर,देव, बालूगंज, अम्बा, कुटुम्बा, नबीनगर के पहाड़ी इलाकों में भी ग्रामीणों को पीने के लिए पानी नहीं जुट रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं के साथ है। इस संबंध में समाजसेवी महेन्द्र सिंह ने बताया कि शहर में पेयजल संकट कायम है और प्रधानमंत्री अमृत योजना कच्छप चाल में है जबकि इस योजना के तहत सरकार पैसा पानी के तरह बहा रही है। लेकिन स्थानीय नगर परिषद के प्रतिनिधि और अधिकारियों के लपरवाही का नतीजा है कि शहरवासी बुंद बुंद पानी के लिए तरस रहे हैं और शहर से पलायन करने हेतु मजबूर हो रहे हैं। यही स्थिति जिले के दक्षिणी क्षेत्र में पहाड़ी इलाकों का है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के तहत हर घर नल जल उपलब्ध कराने के लिए सरकार पैसा बोरा से भेजी है और प्रत्येक वर्ष रिपेयरिंग के लिए भी पैसा भेजने का कार्य गर्मी शुरू होने के पहले भेज देती है लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तथा दलालों के गंठजोड़ का नतीजा है कि सरकार द्वारा भेजे गए राशि को प्रत्येक वर्ष डकार लिया जाता है और जांच के नाम पर लीपापोती का खेल शुरू हो जाता है। भाजपा नेता ने मिडिया को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जन सरोकार से जुड़े सवालों तथा सरकारी योजनाओं में व्याप्त लूट का खबर नहीं के बराबर छप रहा है और अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को खुस रखने के लिए खुशामद प्रस्ती में खबर छप रहा है। जिससे जनहित का अपेक्षा हो रहा है। समाजसेवी महेन्द्र सिंह ने कहा कि रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था का चरितार्थ औरंगाबाद जिले में देखने को मिल रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट भीषण रूप धारण कर लिया है। नागरिक बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। अम्बा प्रखंड मुख्यालय में स्थित और ही बद से बद्तर होते जा रहा है। लेकिन यहां तो योजनाओं के राशि लूटने में भ्रष्ट अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधि और दलालों का गठजोड़ मश्गूल हैं।

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