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जिलाधिकारी एवं जिला सूचना जनसंपर्क कार्यालय से सूचना उपलब्ध नहीं कराया गया तो आयुक्त से अपील, आवश्यकता पड़ने पर सक्षम न्यायालय तक जाने का तैयारी

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

जिले के कुटुम्बा प्रखंड क्षेत्र के परता निवासी आलोक कुमार 21फरवरी 2023 को औरंगाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल से उनके मनमानी एवं तानाशाही रवैया अपनाते हुए खबर सुप्रभात को अपने न्यूज ग्रुप से वगैर जानकारी दिए अथवा कारण बताए remove करने तथा सरकारी वाट्सएप नवम्बर ब्लाक करने के विरुद्ध सूचना अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगने के बावजूद सूचना नहीं उपलब्ध कराने तथा ज्ञापांक 2294/गो० पत्रांक 21/3/2023 के तहत जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने का आदेश के बावजूद सूचना उपलब्ध नहीं कराने के विरुद्ध आयुक्त मगध प्रमंडल गया से सूचना उपलब्ध कराने तथा दोषी सूचना पदाधिकारी को दण्डित कराने का अपील किया है। उल्लेखनीय है कि आलोक कुमार द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत तत्कालीन जिलाधिकारी से सूचना मांगते हुए पुछा है कि न्यूज ग्रुप से remove करने और सरकारी वाट्सएप नवम्बर ब्लाक करने का आपका अधिकार बगैर कारण बताए अथवा कारण पुछे संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत आता है? इसकी सूचना तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल द्वारा नही उपलब्ध कराने तथा इसके लिए जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया लेकिन जिला सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा भी पत्रांक 61दिनांक 10/4/203 के तहत जानकारी दी गई है कि यह सूचना इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।जिसके विरुद्ध आलोक ने आयुक्त मगध प्रमंडल से सूचना अधिकार कानून के तहत अपील करते हुए गुहार लगाया है। आलोक ने कहा है कि तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल द्वारा अपने पदिए शक्ति का दुरपयोग एवं मनमानी करते हुए उक्त अन्याय पूर्ण कारवाई किए हैं। आलोक ने कहा है कि यदि जिलाधिकारी द्वारा किए गए नाइंसाफी का जबतक मुझे इंसाफ नहीं मिलेगा तो मैं चुपचाप बैठने वाला नहीं हूं और इसके लिए राज्य सूचना आयोग यहां तक कि ज़रुरत पड़ने पर सक्षम न्यायालय के दरवाजे तक इंसाफ के लिए गुहार लगाना पड़े तो मैं इसके लिए भी सक्षम हुं। आलोक ने सवालिया लहजे में कहा है कि क्या मेरा लोकतांत्रिक एवं मौलिक अधिकार जप्त कर लिया गया है? यदि नहीं तो सरकारी वाट्सएप नवम्बर ब्लाक करने का औचित्य क्या है? क्या मेरा जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल नहीं थे और यदि हां तो फिर सरकारी वाट्सएप नम्बर ब्लाक किसके आदेश अथवा इशारे पर किया गया?

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