आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात
देश में एक तरफ विपक्ष ईडी और सीबीआई के छापेमारी से तबाह हो रहा है वहीं सत्तारूढ़ दल (एनडीए)के लोग ईडी और सीबीआई के पुंछ पकड़कर 2024का लोकसभा चुनाव में चुनावी बैतरणी पार करना चाहती है। विपक्षी नेताओं को चुन चुन कर जिस तरह सरकार के इशारे पर सीबीआई और

ईडी टारगेट कर रही है इससे तो यही स्पष्ट होता है कि देश में अब न तो लोकतंत्र बचा है और नहीं स्वतंत्र संस्थान बचे हैं। हला की सीबीआई सरकारी तोड़ता है यह आरोप पहले से ही लगते आ रहा था और इन दिनों जिस तरह सरकार के इसारे पर जिस तरह ईडी और सीबीआई नाच रही है इससे सरकारी तोता होने का एक तरह मुहर लग रहा है। सवाल यह उठता है कि विपक्षी नेताओं को चुन चुन कर जिस तरह से ईडी और सीबीआई रेड कर रही है और सत्तारूढ़ दलों (एनडीए) नेताओं के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार से अनजान बनी हुई है इससे साफ जाहिर होता है कि केन्द्रीय सरकार ईडी और सीबीआई के सहारे विपक्ष को समाप्त कर 2024में चुनावी वैतरणी पार करने का मास्टर प्लान तैयार कर ली है। यदि नहीं तो कर्नाटक में यदुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था, 2015में बिहार के नवादा से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के पटना स्थित एस के पुरी थाना क्षेत्र के आनन्दपुरी स्थित आवास से 1करोड15लाख रुपए, 600अमेरिकी डालर, कई विदेशी घड़ियां, करोड़ों का आभूषण पकड़ा गया था, अमित शाह के बेटे के कंपनी का दो साल में 15गुना पूंजी का विकास हुआ, विजय माल्या 9हजार करोड़,नीरव मोदी 13हजार 900करोडरुपया लेकर विदेश भागने में सफल रहा और देश का चौकीदार सोते रहा लेकिन ईडी और सीबीआई आज तक एक दिन भी कोई कारवाई नहीं कर सका यह सवाल तो देश के सामने खड़ा हो रहा है और इसके लिए देश में राष्ट्रीय बहस होना चाहिए। लेकिन केन्द्रीय सरकार का चुप्पी बता रहा है कि पहले तो सरकार प्राइवेटेशन कर युवाओं का नौकरी समाप्त किया और अब ईडी और सीबीआई का बेजा इस्तेमाल कर देश से संपूर्ण विपक्ष को समाप्त कर फासिस्टवादी ब्यवस्था थोपना चाहती है।