चिड़ैयाटाड़, कुटुम्बा (औरंगाबाद) से आर के सिंह का रिपोर्ट
भूमि अधिग्रहण और उसमें भारी त्रुटियों के बाबत कल औरंगाबाद गया था। वहां कुछ अधिकारियों कर्मचारियों से तो मिला ही वहां के कुछ जाने मानें नेतावों से भी मिला। गांवों में जब कोई बुजुर्ग मर जाते हैं तो कुछ हंसोड़ लोग हंसी में कहते

हैं कि पूड़ी बुनियाँ के पेंड़ गिर गेलवा। कल ऐसा ही कुछ मुझे औरंगाबाद में लगा। हर लोग आस में है जैसे पूड़ी बुंदिया नहीं बल्कि पैसों का पेंड़ गिर गया है। पहले त्रुटियों और कैसे पैसा का पेंड़ है उसको समझिये …. जमीन का जो सर्वे किया गया

है उसमें हर जगह जमीन का प्रारूप बिगाड़ दिया गया है। गलती से नहीं मेरा मानना है कि जानबूझकर प्रारूप बदला गया है। आवासीय का MVR 25 से 30 हजार रु डिसमिल है और भीठ धनहर का 8 हजार रु। उदाहरण से समझिये … जगरनाथ बिगहा में गांव से सटे ऑन रोड एक जमीन है जिसमें एक पुराना मकान भी बना हुआ है। मकान से बचे रेस्ट जमीन को उसी प्लॉट में प्रारूप धनहर लिखा हुआ है। ओर, चिरैयाँटांड़ गांव में रोड के किनारे की कई जमीनों को भीठ बना दिया गया है जबकि इन जमीनों के आसपास उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिमी में मकान बने हुए हैं।। कहने का मतलब ये जमीनें आवासीय या कमर्शियल हैं और लिख दिया भीठ। यहां भीठ 8 हजार का है और आवासीय 30 हजार का। इससे क्या होगा तो किसान को 96000 रु कट्ठा मिलेगा। आवासीय हो जाने पर 3 लाख 60 हजार का मिलेगा। अब किसान दौड़ेगा अधिकारियों के पास। दौड़ेगा मतलब हिस्सा देना पड़ेगा। कुछ कर्मचारी और दलाल नेता भी हिस्सा लेंगे तब जाकर आवासीय होगा। हां, कुछ नेतावों से भी मिला। नाम नहीं लूंगा पर यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि सब के सब नें दलाली की भाषा में समझाया कि इसके लिये साहेब से अकेले में मिलना होगा और मिलवाने का वादा भी किया। तीन नेतावों नें तो आंदोलन बिल्कुल न करने का सलाह देते हुए कहा कि आप दुनियां को छोड़िये अपना से मतलब रखिये आपका काम हो जाएगा। हिसाब भी समझा दिया कि आवासीय होने से आपका मुआवजा 70 लाख हो जाएगा उसमें दस बीस लाख देकर ही होता है तो क्या दिक्कत है ? परिचय के एक सरकारी इंजीनियर से भी मिला तो वह भी रिश्वत का पैरोकार निकला। उसने तो रिश्वत देने के कई आसान तरीके बता दिए। अब जो भी हो पर मुझे सबसे अधिक तकलीफ इस बात को लेकर हुआ कि कल मैं बच्चों को कैसे बताऊंगा कि कभी इसी देश में गांधी, भगत सिंह , बोस पैदा हुए थे।