आलोक कुमार, केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात
औरंगाबाद के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल 12फरवरी को खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाला चरितार्थ को उजागर कर दिया है। इसका जिता जागता उदाहरण है कि 13फरवरी को औरंगाबाद जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समाधान यात्रा और समाहरणालय में समीक्षा बैठक करने का कार्यक्रम

को लेकर ग्रामीणों तथा समाजिक/राजनैतिक कार्यकर्ताओं का प्रतिक्रिया तथा ग्राउंड लेबल पर असलियत क्या है खबर चला रहा था। खबर से जिलाधिकारी को भले ही पेट दर्द कर रहा होगा लेकिन जो असलियत है और उसपर जो भी समाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ताओं तथा ग्रामीणों का प्रतिक्रिया है उसे खबर सुप्रभात को इमानदारी एवं जिम्मेवारी पूर्वक चलाना पत्रकारिता के पवित्रता एवं पत्रकारिता धर्म को बचाना और पत्रकारिता के मूल्यों को हिफाजत करना हि कहा जा सकता है। खबर सुप्रभात में जो खबर प्रकाशित/प्रसारित हो रहा है और समाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ताओं तथा ग्रामीणों का जो आरोप है उसपर संज्ञान लेकर जिलाधिकारी कारवाई तो करना उचित नहीं समझा लेकिन खबर सुप्रभात को अपना न्यूज ग्रुप से काट कर आखिर क्या संदेश देने का प्रयास किया है? खबर सुप्रभात को न्यूज अपना न्यूज ग्रुप से हटाकर जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने जो संदेश देने का कार्य किया है इससे साफ जाहिर होता है कि वे खबर सुप्रभात से मनचाहे एवं चाटुकारिता करवाने और एक पक्षीय खबर चलाने का संदेश है जो पत्रकारिता के किसी भी माप दण्ड से उचित नहीं है और जिलाधिकारी ने पत्रकारिता के मूल्यों पर हमला कर भयभीत करने का प्रयास है। बता दें कि औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी 12फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री का समीक्षा बैठक पर सवाल खड़े किए हैं। सांसद का सवाल से खबर सुप्रभात में लगातार प्रकाशित एवं प्रसारित हो रहे खबर तथा समाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं तथा ग्रामीणों का आरोपों का भी निश्चित रूप से पुष्टि होता है।खबर सुप्रभात ने जिलाधिकारी से जानना चाहता है कि क्या सच्चाई नहीं है कि सरकार प्रायोजित योजनाओं के राशि में लूट मची हुई है और योजनाओं का लाभ गरीबों तथा कमजोर वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है, क्या यह सच्चाई नहीं है कि जिले में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत नलजल लगभग 80प्रतिशत से ज्यादा ठप है और ग्रामीणों को पेयजलापूर्ति बाधित है , क्या यह सच नहीं है कि इस बर्ष सुखा राहत के नाम पर जो राशि प्रभावित लोगों के लिए सरकार द्वारा भेजा गया उसमें जम कर लूट हुई है, क्या यह सच्चाई नहीं है कि जिले में चल रहे योजनाओं का सप्ताहिक जांच केवल खानापूर्ति है और जांच के नाम पर लीपापोती का खेल चल रहा है।