औरंगाबाद, खबर सुप्रभात
औरंगाबाद जिले में इन दिनों नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस बलों को लगातार सफलता मिल रही है यह औरंगाबाद पुलिस का गुड़ पुलिसिंग का परिचय देता है। नक्सल विरोधी मुहिम चलाकर पुलिस नक्सलियों का कमर तोड़ने का कार्य की है फलस्वरूप जिले में विध्वंसक कारवाई जो नक्सलियों द्वारा अंजाम दिया जाता था शुन्य पर पहुंच गया है और इस वजह से लोग औरंगाबाद में गुड पुलिसिंग का बात कह रहे हैं लेकिन जब जिले में अपराध का स्थिति के क्षेत्र में अवलोकन किया जा रहा है तो पुलिस के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग रहा है। औरंगाबाद जिले में अपराध का ग्राफ इन दिनों लगातार बढ़ रहा है और पुलिस प्रशासन इसे रोक पाने में विफल साबित हो रही है। स्थिति यह है कि आय दिन जिले में हत्या, लूट, चोरी की घटनाएं घट रही है। शराब बंदी कानून को धत्ता बोलते हुए जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के अवैध कारोबार फल फूल रहा है तथा बालू का अवैध उत्खनन होने का खबर भी प्राप्त हो रहा है। शाम होते ही औरंगाबाद जिले के दक्षिणी क्षेत्र जो बिहार -झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र है शराब के धंधा शुरू होता है

और पुरे रात शराब का ढुलाई बाइक और फोर व्हीलर से प्रारंभ होता है। आश्चर्य तो यह है कि पुलिस और उत्पाद विभाग द्वारा लगातार रात्रि गश्ती करने का दावा किया जाता है फिर भी शराब कारोबारियों को दबोचने में पुलिस और उत्पाद विभाग को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रहा है यह भी एक गंभीर सवाल बना हुआ है।अब सवाल यह उठता है कि जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाने के साथ साथ अपराधियों को पकड़ने और अपराधकर्मियों के विरुद्ध भी शक्ति से अभियान चला कर अपराध नियंत्रण में आखिर पुलिस असफल क्यों साबित हो रही है?