आलोक कुमार, संपादक सह निदेशक, खबर सुप्रभात
बिहार के सारण जिले से बुरी खबर प्राप्त हो रही है। शराबबंदी कानून को ठेंगा दिखाते हुए शराब कारोबारियों ने 28 लोगों को जान ले लिया है। जानकारी के अनुसार शराब पीने से एक एक कर आज बुधवार को संवाद लिखे जाने तक 28लोगों की मौत हुई है इस संबंध में यह भी जानकारी मिल रही है कि शराब पीने वाले लोगों को पहले आंख के रौशनी गायब हुई और फिर एक एक कर लोगों की मौत का शील शीला जारी हुआ और शाम होते होते 28 लोगों की मौत हो गई मौत का शील शीला जारी है और अभी कितने लोग मरेंगे इसकी अंदाजा लगाना मुश्किल है। कभी छपरा कभी औरंगाबाद तो कभी सारण में शराब पीने से लोगों को हो रहे मौत से यह साफ जाहिर होता है कि बिहार में शराब बंदी जो कि स्वक्ष समाज के लिए बिहार सरकार का एक अच्छा पहल और प्रयास है। लेकिन जिनके कंधों पर शराब बंदी सफल बनाने का जिम्मेवारी है वे अनैतिक रूप से अत्यधिक धन कमाने के चाहत में अपने उद्देश्यों एवं कर्तव्यों से पूर्णतः भटक चुके हैं जिसका नतीजा है कि सरकार के शराबबंदी कानून बनाने के बावजूद शराब कारोबारियों पर नकेल कसने में पुलिस और उत्पाद विभाग पुरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं हैं। इन्होंने शराब बंदी कानून तो
बनाया लेकिन समय समय पर शराब बंदी कानून में संशोधन लाने और इससे शराब कारोबारियों एवं शराबियों को मनोबल बढ़ाने का ही कार्य हुआ है। यदि शराब कारोबारियों एवं शराबियों को पकड़े जाने के बाद संबंधित जिले के एसपी और डीएम तथा थानेदार को जिम्मेवारी तय करते हुए तत्काल उनके विरुद्ध कार्रवाई शुनिश्चित किया जाये और शराब कारोबारियों तथा शराबियों को गैरजमानती ए धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेजा जाये तो जहां तक मेरी समझदारी है कि शराब बंदी कानून सफल होगा और समाज के हर तबका सुकुन और राहत महशु करेगा। लेकिन आज सरकार भी कहीं न कहीं वोट के लालच में पड़ी हुई है तभी तो शराब बंदी कानून को मजबूत करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।