आलोक कुमार , नीदेशक सह मुख्य संपादक , खबर सुप्रभात
आज हमारा देश घोर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। देश का आर्थिक विकास दर प्रायः शुन्य की ओर बढ़ते जा रहा है। देश के किसान और मजदूर त्राहिमाम कर रहे हैं और सड़क पर उतर रहे हैं आत्महत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए बेवश और लचार हो रहे हैं। लेकिन इसकी चिंता न तो सरकार को है और नहीं राजनीति दलों को। दक्षिण पंथ का राजनीति करने वाले हों या फिर बामपंथ का दम्ह भरने वाले लोग हों । सभी जनता के गाढी कमाइ और जनता का टैक्स के पैसा से ऐश कर रहे हैं और देश को रसातल में भेज रहे हैं ।जब आप सच्च बोलेंगे और सच्च लिखेंगे तो आप पर तरह तरह का आरोप लगाया जायेगा तथा डराने के लिए अनेकों तरह का हथकंडा अपनाया जायेगा। यहां तक कि देश द्रोहियों के कतार में खड़े कर दिया जायेगा। लेकिन असलियत तो यही है कि आज देश में तथा कथित राजनेता और देश भक्त कहलाने वाले राजनेता और जनप्रतिनिधि देश का जनाजा निकाल रहे हैं और देश में आर्थिक बोझ बनें हुए हैं।

मैंने जो उपरोक्त तथ्य लिख रहें हैं इसके लिए जानकारी के अनुसार एक आंकड़ा भी प्रस्तुत कर रहा हूं जिससे आप भी सोचने के लिए मजबूर होंगे और इस आलेख के पक्ष मे खड़ा हो जायेंगे जानकारी के अनुसार देश में कुल एम एल ए 4120 और एम एल सी 462 है यानी कुल 4582 , प्रति विधायक को प्रति माह वेतन -भत्ता के मद्य में 2 लाख अर्थार्त सभी को जोड लें तो 91 करोड़ 64 लाख , इसी तरह देश में राज्यसभा और लोकसभा मिला कर 776 सांसद हैं जिनके वेतन -भत्ता के मद्य में 465 करोड़ 60 लाख खर्च हो रहा है।अथार्त 15अरब 65 करोड़ रुपए। फिर इन लोगों के आवास, रहना, खाना, सैर सपाटा, यात्रा , इलाज के नाम पर लगभग इतना ही 15 फिर इनके सुरक्षा ब्यवस्था के नाम पर तथा राज्यपाल पूर्व मंत्री विधायक, सांसद और अन्य नेताओं के पीछे खर्च तथा पेंशन राशि को भी जोड़ लेंगे तो लगभग प्रति वर्ष 100 अरब का आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं जबकि आम जनता तंगहाली और बदहाली का जिन्दगी जीने के लिए मजबुर हो रहे हैं। ऐसे में देश के तथाकथित लोकतांत्रिक ब्यवस्था और राजनेताओं पर चाहे दक्षिणी पंथी हो चाहे वामपंथी सभी पर उंगली उठना लाजिमी है।