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नगर निकाय चुनाव को वोटिंग के चार दीन पहले स्थगित करना अतिपिछड़ों के साथ धोखा : धर्मेन्द्र

अम्बुज कुमार , खबर सुप्रभात

बिहार नगर निकाय चुनाव का प्रचार प्रसार लगभग पूरा हो गया था और चार दीन बाद ही वोट पड़ना था ऐसे समय में चुनाव को स्थगित करना दुर्भाग्यपूर्ण है.। जिसका हम सभी अतिपिछड़ा समुदाय के लोग घोर निंदा करते हैं। ये पूरा घटनाक्रम यह दर्शाता है की केंद्र मे बैठी भाजपा पार्टी की सरकार अतिपिछड़ों को सिर्फ छलने का कार्य करती है। तभी तो नगर निकाय चुनाव को वोट के चार दीन पहले साजिश के तहत कोर्ट के माध्यम से भाजपा पार्टी के द्वारा स्थगित करवा दिया गया। जिसका सबक आने वाले दीन मे हम सभी अतिपिछड़ा के लोग उन्हें सिखाएंगे। शुरू से ही अतिपिछड़ा के लोग को इनके द्वारा छलने का कार्य किया जाता रहा है. नहीं तो जातिगत जनगणना से आखिर यह सरकार पीछे क्यूँ भागती?. भाजपा को पता है की जातीय जनगणना अगर होता है तो अतिपिछड़ों को भागीदारी के आधार पर आरक्षण के रूप मे उनका उचित हक़ देना पड़ेगा।साजिश के तहत ही आज तक केंद्र सरकार के द्वारा अतिपिछड़ों को विधानसभा एवं लोकसभा के सीट पर आरक्षण नहीं दिया गया हैं क्यूंकि उन्हें डर हैं की ऐसा करने से अतिपिछड़ा कही जाग न जाय और अपना हक़ अधिकार न मांगने लग जाय। ये सारी साजिश भाजपा पार्टी की ही है. नगर निकाय चुनाव मे अगर रोक ही लगाना था तो समय रहते क्यूँ नहीं रोक लगाया गया?. इस साजिश और अतिपिछड़ा के साथ सौतेला व्यवहार का जबाब भाजपा पार्टी को आने वाले चुनाव मे दिया जायेगा।. और जल्द ही इस साजिश के खिलाफ हम अतिपिछड़ा के लोग सडक पर उतर कर इनकी दोहरी नीति का पर्दाफाश करेंगे। आजतक अतिपिछड़ा के वोट पर राज करने वाला यह पार्टी हमें ही आँख दिखाती है और पीठ मे छुरा घोपने का काम करती हैं. जो की अब नहीं चलने वाला हैं। क्यूंकि अब अतिपिछड़ा के लोग जाग चुके हैं।

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