केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात समाचार सेवा
20 जुलाई (रविवार) को अलोकनायक जयप्रकाश नारायण संस्थापित मानवाधिकार से जुड़े लोक स्वातन्त्रय संगठन (PUCL) का त्रिदिवसीय 17वां राष्ट्रीय अधिवेशन समाज विकास केंद्र, रांची, पुरुलिया रोड, झारखण्ड में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ. इस अधिवेशन में देश के दर्जनों



राज्यों के सैकड़ों प्रति निधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया.
त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम दिन झारखण्ड राज्य में पीयूसीएल के 25 वर्ष पुरे होने के अवसर पर धूमधाम से सिलवर जुबली पहले मनाया गया. सिलवर जुबली के मौके पर पीयूसीएल झारखण्ड में 25 वर्ष बीत जाने पर क्या पाया और क्या खोया विषय पर एक शानदार व्याख्यान आयोजित हुईं. पीयूसीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व महासचिव समेत विभिन्न राज्यों के दर्जनों वक्ताओं ने अपने वक्तव्य के दौरान अनेकों सार्थक व बहुमूल्य सुझाव दिया. इन तमाम अमूल्य सुझावों को संग्रह किया गया. अधिवेशन के प्रथम दिन के दूसरे सत्र में पीयूसीएल के राष्ट्रीय प्रस्तावना को महासचिव वी सुरेश द्वारा सदन में खुले बहस के लिए पेश किया गया.पिछले सम्मेलन से लेकर अबतक पीयूसीएल के द्वारा के गए कार्यों तथा लिए गए महत्वपूर्ण मुद्दों पर पहलकदमी की समीक्षा के लिए पेश किया गया. अधिवेशन के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में बहस के लिए 04 बहुमूल्य राष्ट्रीय मुद्दों का चयन किया गया, जो निम्न हैं : –
01.Threat to freedom of speech, expression, association, assembly and dissent.
02.Uncheked hate speech, hate crime, rise of lawless mobs, breakdown of rule of law.
03.Attack on social, economic and cultural rights : challenges faced by peoples movements.
04.Attack on judiciary and other institutions of accontablity.
उपरोक्त विषय पर सदन में उपस्थित प्रतिनिधियों का बहस – मुहावसा के लिए 04 टीम का गठन किया गया. चारों टीम अलग-अलग बैठकर सघन विचार मंथन खुलकर किया गया. हरेक टीम के एक इंचार्य बनाया गया. जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि बहस का निचोड़ निकालकर सदन में पेश करना है. अधिवेशन के तीसरे दिन प्रथम सत्र में चारों टीम के प्रभारी ने उक्त विषय पर बहस के दौरान निकले निष्कर्ष को सदन में रखा.सदन ने उसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया. मौलिक संवैधानिक अधिकारों पर किये जा रहे हमले के खिलाफ व्यापक विरोध, संगठित प्रतिरोध करना अनिवार्य है. तमाम जन विरोधी काले कानूनों को वापस करने की मांग जारी रखना है. नफ़रती वक्तव्य,नफ़रती क्राइम, मॉव लिंचिंग और नियम क़ानून को तोड़ने वालों पर सरसरी नजर रखनी होगी. इसके लिए इस तरह की घटनाओं पर राज्य और जिला स्तर पर लिस्टेड करना चाहिए. प्रत्येक राज्य की ओर से राष्ट्रपति,राज्यपाल, मानवाधिकार आयोग से लेकर सभी संबंधित अधिकारों को पत्राचार करना चाहिए. जरूरत पड़ने पर न्यायालय में भी रिट दायर करना चाहिए.
समाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर किये जा रहे हमले के साथ जनआंदोलन करना भी मौजूदा दौर में चुनौती के बतौर मुंहवाये ख़डी है. ख़ासकर पीयूसीएल को वर्तमान परिस्थिति के मध्येनजर आदिवासियों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों, मेहनतकश मजदूरों और किसानों के बीच पीयूसीएल की पैठ तेजी से बढ़ाने की सख्त जरूरत है.न्यायिक प्रक्रिया और तमाम सरकारी प्रतिष्ठानों का राजनीतिककरण कर प्रभावित करने के खिलाफ जन अभियान संचालित पिछले दिनों दिल्ली में हुए राष्ट्रीय करना चहिए. बिहार से PUCL के महासचिव सरफराज ने बिहार विधानसभा चुनाव के मध्येनजर मतदाता सूची गहन सर्वेक्षण अभियान एक सोची -समझी शाजिस के तहत लाया गया. खासकर अल्पसंख्यक,अतिपिछड़ा, और दलित-आदिवासियों का नाम मतदाता सूची से काटने के लिए सरकार प्रायोजित षड्यंत्र है.आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, जॉव कार्ड सरकार द्वारा निर्मित पहचान पत्र को चुनाव आयोग अमान्य कर दिया है. भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए करोड़ों मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से नाम हटाने कुत्सित शाजिस जारी है. घृणित कुकर्म करने पर उतारू है.पिछले दिनों दिल्ली में कन्वेंशन में राष्ट्रीय कमिटी की चयन जो किया गया था, उसे सदन में महासचिव द्वारा चयनित पदाधिकारिओं की सूची सदन में पेश की गई, जिसे पुरे सदन ने सर्वसम्मति से ध्वनिमत से पारित किया गया.बीच- बीच में झारखंड के बाल कलाकारों, छतीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार के दर्जनों कलाकारों ने अपना-अपना जलवा बिखेरा. पुरे सदन को मंत्रमुग्ध कर दिया. आखरी सत्र में देश स्तरीय पीयूसीएल के एक टीम विभिन्न राज्य के युवाओं को लेकर नेतृत्व के दूसरे स्तर को खड़ा करने की तैयारी शुभारम्भ हो गया है. उन युवाओं से सवाल किया गया कि पीयूसीएल से कब और क्यों जुड़े? सबों से पूछे गए सवालों का सटीक सकारात्मक जबाव दिया. अंत में हम होंगे कामयाब के सामूहिक लोकगीत के साथ ही हम लड़े थे – हम जीते थे, हम लड़ेंगे- हम जीतेंगे, आवाज दो-हम एक हैं जैसे गगनभेदी नारों के साथ अध्यक्ष द्वारा स्वागत वक्तव्य समेत अधिवेशन समाप्ति की घोषणा हुई।