औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड अंतर्गत भरुब पंचायत के आवास सहायक को जांचोपरांत जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने सेवा से बर्खास्त कर दिये हैं। सरकार के अतिमहत्वाकांक्षी योजना में अनियमितता पाये जानें के विरुद्ध जिलाधिकारी का शख्त कारवाई निश्चित रूप से

सराहनीय है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कुटुम्बा प्रखंड में भी आवास सहायक द्वारा जो सूची प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जो आवास सूची आवास सहायक द्वारा बनाया गया है उसका जांच यदि जिला अधिकारी, डीडीसी द्वारा अवलोकन कर लिया जाए तो एक नहीं दर्जनों पंचायत के आवास सहायक पर गाज गीरना तय माना जा रहा है। लेकिन यदि इसकी जानकारी जिलाधिकारी और डीडीसी महोदया को नहीं है तो यह भी एक आश्चर्य का विषय है। जानकारी के अनुसार कुटुम्बा प्रखंड के ग्राम पंचायत परता में आवास सहायक द्वारा लालूको का सूची बनाने में घोर अनियमितता एवं धांधली बर्ता गया है तथा एक से दो हजार रुपए तक वसूल किया गया है। इसकी पुष्टि खबर सुप्रभात तो नहीं किया है लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ग्रामीणों का आरोप से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीणों का आरोप का जांच कराने पर सत्यता जरुर उजागर हो सकता है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत परता में वैसे लोगों का भी सूची में नाम शामिल किया गया है जिनके पास ट्रैक्टर भी है। कुछ वैसे लोगों का भी नाम शामिल किया गया है जो एक ही पिता के तीन चार लड़के हैं और सभी लड़कों का नाम शामिल किया गया है। लेकिन जो वास्तविक रूप से जरुरत मंद लोग हैं उनका नाम सर्वेक्षण सूची में शामिल नहीं किया गया है। जब इस संबंध में आवास सहायक सुपरवाइजर कुमार अमित से जानने के प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण सूची अभी तक फ़ाइनल नहीं हुआ है जब कहा गया कि आवास सहायक द्वारा जो भी सूची बनाया गया है उसका छाया प्रति उपलब्ध करायें तो उन्होंने टालते हुए कहे कि प्रखंड विकास पदाधिकारी से संपर्क करने का बात बताया गया। जब प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार से उनके मोबाइल नम्बर पर संपर्क किया तो उन्होंने मोबाइल फोन से संपर्क नहीं हो सका। अब सवाल है कि यदि आवास सहायक द्वारा सर्वेक्षण सूची बनाने में मनमानी और भ्रष्टाचार का सहारा नहीं लिया गया है तो सर्वेक्षण सूची को छीपाने का मतलब क्या इंगित करता है यह अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार का सवाल है तो वे पिछले प्रखंड 20सूत्री के बैठक में भ्रष्टाचार का प्रमाण सदस्यों से मांग रहे थे। जबकि भ्रष्टाचार करने के मामले में एक नहीं अनेकों प्रमाण ग्रामीणों द्वारा उन्हें उपलब्ध कराया गया है।जिले में शिक्षा विभाग से लेकर बालविकास परियोजना पदाधिकारी के कार्यालय नबीनगर में फर्जी प्रमाण पत्र पर सुपरवाइजर का नौकरी करने का मामला भी प्रकाश में है। लेकिन जिलाधिकारी यदि जानबूझकर अनजान बने हुए हैं तो फिर भ्रष्टाचार के मामले में 0 टारलेंश का दावा जिला प्रशासन द्वारा करना हास्यास्पद प्रतित होता है तथा आम अवाम के बीच यक्ष प्रश्न खड़ा कर रहा है।