सुनील कुमार सिंह उप संपादक खबर सुप्रभात समाचार सेवा
भारत – पाक युद्ध ( ऑपरेशन सिन्दूर ) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार विस्तारवादी नीति का परिणाम तथा चीन एवं रशिया के प्रभाव को कम करनें के उद्देश्य से एक सोंची समझी रणनीति का परिणाम है। इसके पिछे भारत – रशिया की प्रगाढ़ मित्रता तथा पाकिस्तान – चाईना की दोस्ती को कम करने एवं अमेरिकी मुखिया गिरी का प्रभाव बढ़ाने के

उदेश्य से कराया गया है। वही अमेरिका जो रशिया से भारत को S – 4 O O को खरीदनें का विरोध किया था, जो इस युद्ध में इसके प्रभाव और कारनामें को देखकर जल भुन गया, साथ ही भारत – रशिया के सहयोग से DRDO में विकसीत किया गया ब्रह्मो स्त्र मिसाईल की अचुक एवं अभेद मारक क्षमता नें अमेरिकी राष्ट्रपति की रातों की नींद ही उड़ा दी । दो दिन यदि और औपरेशन सिन्दूर जारी रहता तो विश्व के मानचित्र से पाकिस्तान का नक्सा और भूगोल ही बदल गया होता। वहीं चाईना नें पाकिस्तान को लड़ाई में बनें रहनें के लिए दवाव बनाते रहा । उसका मानना था कि यदि भारत POK पर कब्जा कर लेगा तो अक्साई चीन के लिए भारत कभी भी खड़ा हो सकता है, जिसे पाकिस्तान नें चाईना को इसी शर्त पर दे रखा है कि भारत से रक्षा करनें में चाईना पाकिस्तान को सभी तरह का मदत और साथ देता रहे। युद्ध विराम की घोषणा के बाद भी पाकिस्तान नें ड्रोन हमला एवं Pok सीमा पर गोलीबारी चाईना को खुश करनें के लिए ही आखरी तीन घंटा करता रहा। तभी अमेरिका का चाचा चौधरी नें पाकिस्तान को फोन कर कहा कि गोलीबारी बंद करो, नहीं तो भारत तुम्हारे (पाकिस्तान ) के परमाणु – भंडारण पर हमला करनें वाला है। नतीजन शहवाज़ शरीफ ने हाँथ उठाकर सरेंडर कर दिया एवं शोसल मिड़िया पर जनता के नाम संदेश में कहा कि पाकिस्तान के हीत में हम सीज फायर मानते हुए युद्ध बंदी कर रहे हैं। दुश्मन देश (भारत ) काफी मजबुत है, और हम ( पाकिस्तान ) काफी कमजोर हैं। ऐसे में पाकिस्तान का वजुद बचा रहे, युद्ध बंदी की घोषणा करते हैं और शांत बैठ गया।
भारत ने युद्धविराम के लिए सहमति क्यों दी?
यह एक गोपनीय समयरेखा है—
सुर्खियों के नीचे दबी हुई,
प्राइमटाइम से मिटा दी गई,
और मौन के भार से लदी हुई।
क्योंकि 10 मई कोई संधि नहीं थी—
यह एक चेतावनी थी—राजनीति की आड़ में छुपी हुई।
आइए लौटें पीछे।
9 मई, सूर्यास्त।
अंधकार छा गया।
पाकिस्तान ने हमला किया—
फिर से।
भारत डगमगाया नहीं।
प्रधानमंत्री ने संकेत दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सिर हिलाया।
सेनापतियों ने समझ लिया—
अब सब कुछ बदल गया है।
10 मई, तड़के।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ – चरण-3
ब्रह्मोस-ए मिसाइलें।
SPICE 2000 बंकर भेदी बम।
रात 12 बजे से सुबह 4 बजे तक—
11 सटीक हमले।
11 लक्ष्य।
विस्फोट।
पाकिस्तान के 11 वायुसेन्य ठिकाने मिटा दिए गए:
नूर ख़ान,
रफ़ीक़ी,
मुरीद,
सुक्कुर,
सियालकोट,
पस्रूर,
चुनियां,
सरगोधा,
स्कार्दू,
भोलेरी,
जैकबाबाद।
राडार समाप्त।
पर इनमें से तीन?
इन्होंने सैन्य सिद्धांत को फिर से लिखा।
नूर ख़ान – रावलपिंडी।
सरगोधा – पाकिस्तान की परमाणु नस।
जैकबाबाद – F-16 और परमाणु भंडार का गढ़।
और तभी धरती कांपी।
1:44 AM – भूकंप, तीव्रता 4.1।
3:40 AM – एक और झटका, तीव्रता 5.7।
कोई भौगोलिक दोष रेखा नहीं।
बस प्रभाव।
भारत ने परमाणु बंकरों को खोल दिया।
पाकिस्तान कांप उठा।
7:40 AM – पाकिस्तान ने आपातकालीन NCA बैठक बुलाई।
भारत ने फिर से लिखा।
नक्शे बदले।
परतें उधेड़ीं।
विनाश रचा।
बस एक और वार—
और पाकिस्तान इतिहास बन जाता।
हताशा हावी हो गई।
हॉटलाइनें गूंज उठीं:
वॉशिंगटन।
ब्रसेल्स।
बीजिंग।
अमेरिका समझ गया—पाकिस्तान गया।
दक्षिण एशिया में उसकी पकड़ ढह जाएगी।
इसी बीच—
रूस तैयार था।
यूक्रेन युद्धविराम।
पुतिन ने हामी भरी।
10 मई शाम—घोषणा तय थी।
फिर… रुकावट।
पुतिन ठिठके।
ट्रंप बौखलाया।
रुख बदला।
भारत–पाकिस्तान बना उसका नया मंच।
उसने दिल्ली फोन किया:
“इसे रोको।”
भारत बोला:
“हमारी शर्तों पर ही।”
उसने इस्लामाबाद को कहा:
“तुम पहल करो।”
3:35 PM – 10 मई।
पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को संदेश भेजा:
“हम हथियार डालने को तैयार हैं।”
ट्रंप को सुर्खियां चाहिए थीं।
5:33 PM – वह बाज़ी मार गया।
घोषणा कर दी—युद्धविराम की।
भारत के बोलने से पहले ही।
5:38 PM – पाकिस्तान ने आधिकारिक किया।
अमेरिका को धन्यवाद दिया।
हार को रणनीति की तरह पेश किया।
6:00 PM – भारत का विदेश मंत्रालय बोला।
ठंडा।
सटीक।
अप्रभावित।
लेकिन परदे के पीछे—
चीन बौखला गया।
“हमें अंधेरे में कैसे रखा?”
उन्होंने इस्लामाबाद को फटकारा।
और उस दरार को भरने के लिए,
पाकिस्तान ने युद्धविराम तोड़ दिया—
बीजिंग को खुश करने के लिए।
अब ख़ुद से पूछिए—
क्या वो भूकंप प्राकृतिक थे?
या ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के बंकरों में फुसफुसाया?
क्या भारत ने परमाणु ठिकानों पर हमला किया?
क्या ट्रंप ने पुतिन की चुप्पी पर छलांग लगाई?
क्या F-16 उड़ने से पहले गिरा दिए गए?
क्या चीन हमेशा से कॉकपिट में छिपा भूत था?
क्या ट्रंप ने भारत को मजबूर किया?
और मोदी अब भी चुप क्यों हैं?
और आख़िरी सवाल:
क्या सच में कोई युद्धविराम हुआ था…
जब कुछ भी हस्ताक्षरित नहीं था?
या यह एक मायाजाल है—
अमेरिकी अहम की टेप,
चीनी क्रोध की बारूद,
जो अभी फटने बाकी है?
मौन को देखिए।
यही वह जगह है—जहाँ सत्य साँस लेता है।
यह धमाका पाकिस्तान के उस जगह का है जहां पर पाकिस्तान खुफ़िया परमाणु हथियार रखता है या बनाता है।
अगर भारत ने इसे नष्ट किया है या इस पर हमला किया है तो यह भारत कि जीत है, पाकिस्तान को घुटने पर लेकर आया है।।
दुश्मन पर बेहिसाब माइलेज लेने के बाद मोदी पीछे हटने वाली चीज नहीं है।
भारत जरूर कुछ ऐसा कांड करके बैठा है जो बुद्ध वाली नीति तो नहीं हो सकता 😄
इसलिए शांति बनाए रखें, बहुत बड़ी जीत मिली है।