मदनपुर से सुनील कुमार सिंह की रिपोर्ट
मदनपुर थाना क्षेत्र के उमगा में लगनें वाला तीन दिवसीय मेला में प्रातः काल से ही भक्तों का हुजुम जुटने लगा। उमगा पर्वत श्रृंखला पर त्रेता युगीन विशाल सूर्य मंदिर विराजमान है । गर्भ गृह के अंदर कृष्ण, बलराम एवं सुभद्रा की प्रतिमा के साथ – साथ शंकर एवं हनुमान जी की भी प्रतिमा स्थापित है।
एक विशाल शिला पर मंदिर के इतिहास के बारे में ब्राह्मणी लिपी शिला लेख स्थापित है। उमगा पर्वत श्रृंखला पर 52 देवी देवताओं के विग्रह विभिन्न मंदिरों में स्थापित हैं । पर्वत के ठीक पश्चिम में 52 विघा का तालाब है, जो जल से पुरा भरा हुआ है। सुर्य मंदिर से थोड़ा उपर जानें पर सहस्रलिंगी
महादेव का मंदिर है। इस मंदिर का दरवाजा पश्चिम मुख का है। यहाँ एक विशाल शिव लिंग में एक हजार शिव लिंग बनें है, जो कि अपने आप में अद्वितीय है। थोड़ा और आगे बढ़ने पर दुख हरिणी माता का मंदिर स्थापित है। इसी के बाजु में एक कुंड निर्मित है। ऐसी मान्यता है कि कुंड के जल के अर्पित मात्र से दुखहरणी माता सब दुखों का हरण कर लेती है। थोड़ी दुर और आगे बढ़ने पर माँ उमंगेशवरी का सिद्ध शक्ति पीठ एक विशाल चट्टान के नीचे स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि भक्त जन अपनी जो भी मन्नत यहाँ सच्चे दिल से मांगते हैं, माँ उमंगेश्वरी जरूर पुरी करते हैं। मन्नत की पूर्ति होते ही भक्त बसंत पंचमी को आकर बकरे की बलि देते हैं।
थोडी दुर और आगे बढ़ने पर फुटलकी मठ ( मंदिर ) का दर्शन होता है, जिसके गर्भ गृह में विशाल शिव लिंग स्थापित हैं। ऐसी मान्यता है कि ये भोले बाबा औघड़ दानी हैं। एक बार की बात है कि मदनपुर क्षेत्र में कई वर्षो से वर्षा के अभाव में अकाल पड़ता आ रहा था । तभी इनके पुजारी जुट्ठी पाठक (मशहुर तांत्रिक, पूर्णाडीह ) नें इस इलाके के जमिंदार घटराईन निवासी बाबू मुद्रिका सिंह से मुलाकात कर कहा – फुटल की मठ स्थित शिव लिंग को यदि दुध से डुबाया जाय तो निश्चित ही वर्षा होगी । फिर क्या था, पुरे क्षेत्र के किसानों नें मुद्रिका सिंह के नेतृत्व में शिव लिंग को दुध से डुबाना शुरू किया । जैसे ही शिव लिंग डुबे,कि इतनी भारी वर्षा हुई की बाढ जैसे हालात उत्पतन्न हो गये। उस वर्ष खुब धान की उपज हुई, पशु एवं मानव को पेयजल की संकट से निजाद मिली।
उसी पर्वत के सटे दुसरी पर्वत पर जाने पर एक समतल मैदान में विशाल तालाब निर्मित है। इसी तालाव में सिंचाई हेतु एक डैम काफी पुराना निर्मित था, जिससे मदनपुर के आस -पास के खेतों की सिंचाई होती थी। तालाब से दक्षिण पहाड़ी की चोटी पर जाने से गौरी -शंकर की आलिंगन पास में बंधे प्रतिमा एक विशाल गुफा में स्थापित है।
मुस्लिम शासकों नें कई बार हमला कर मंदिर एवं मुर्तियों को तोडा
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इतिहास में ऐसा प्रमाण मिलता है कि मुगलों के शासन काल में कई बार इन मंदिरों पर आक्रमण कर मुर्तियाँ एवं मंदिर को तोडा गया है, जो आज भी बतौर सबुत गवाही देते दिख जाते हैं।
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चोरों नें भी यहाँ से मुर्तियों की चोरी
उमगा पर्वत श्रृंखला से बहुत सारी मुर्तियाँ चोरों द्वारा चोरी कर गायब कर दी गयी है। आज से तीस वर्ष पूर्व अष्ठ भूजी गणेश की विशाल मूर्ति तालाब के पास मंदिर से चुरा कर ले जाने का कुत्सित प्रयास चोरों द्वारा किया गया ।लेकिन पहाड़ से नीचे उतारनें में ही सुबह हो गयी, और लोगों नें देख लिया । चोर भाग खड़े हुए । बह अष्ट भुजी गणेश की प्रतिमा आज भी मदनपुर थाना परिसर स्थित शिव मंदिर के बरामदे में रखा हुआ है।
युवा एवं महिलायें खुब उठाती हैं मेले का आनंद
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उमगा मेला मदनपुर क्षेत्र का मशहुर मेला है। यहाँ आसपास के जिला रोहतास, गया, जहानाबाद, अरवल एवं झारखंड राज्य के पलामु तथा चतरा से काफी संख्या में लोग दर्शन पूजन करने आते हैं। लाखों की भीड़ मेला क्षेत्र में उमड़ पड़ती है। मेले में घर गृहस्ती के सारे सामान सिलवट, जाँता, लोहे के बर्तन, लाठी – डंडे, भाला -तलवार, कृषि के उपयोगी औजार के साथ -साथ मनोरंजन के लिए झुला, मौत का कुँआ, चरखी आदि लगे हैं। मेला क्षेत्र का जलेवी एवं गुड़ की मिठाई की काफी प्रसिद्धी है।