संपादक के कलम से, खबर सुप्रभात
आज देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, देखने और सुनने में बहुत ही सुहावन लग रहा है। लेकिन सच्च तो यही है कि आज जहां आजादी के अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ देश में लोग खाद्य संकट से जूझ रहे हैं, दस राज्यों में 40 प्रतिशत गेहूं का कटौती इस लिए कर दिया गया कि अब गेहूं का देश में इस लिए कमी हो गई है कि भारत सरकार इस वर्ष 30 लाख टन गेहूं विदेश भेजकर बेच दिया। अब देश में खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है देश के वैसे राज्य में जहां लोग चावल खाते ही नहीं है उनके समक्ष तो बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है जैसे उत्तरी गुजरात, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावे देश के अनेक भागों में लोग चावल के जगह गेहूं खाते हैं उनके बीच गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। फिर आजादी के अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन बता दें कि आज देश में 22 करोड़ 40 लाख आबादी कुपोषित हैं जोकि दुनिया के कुपोषितों का कूल संख्या के 29 प्रतिशत हमारे देश में है । अब विचारणीय विषय यह है कि देश में मनाई जाने वाली आजादी का अमृत महोत्सव कहां तक सच्च है और इसका मतलब क्या है? इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं सत्ता पक्ष या विपक्ष यह एक अहम सवाल आज हम आप और पुरे देश वासियों के समक्ष

एक अहम और यक्ष प्रश्न बना हुआ है। हला कि सरकार के मुलाजिम और रहनुमे आज भी मानने को तैयार नहीं है कि देश में अभुत पूर्व खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है लेकिन दस राज्यों में 40 प्रतिशत गेहूं आपुर्ती के कटौती यह साफ जाहिर करता है कि देश में अभुतपूर्व खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है। विपक्ष का तो यह भी मानना है कि विगत 50 वर्षों में इतना बड़े पैमाने पर देश में गेहूं का कमी नहीं हुआ था।