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न्यायालय कर्मी का प्रस्तावित हड़ताल होने पर न्यायिक कार्य हो सकते हैं अस्त-व्यस्त


अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही के कलम से


व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि 16/01/25 से बिहार में राज्यव्यापी अदालतों में न्यायालय कर्मचारी संघ के प्रस्तावित हड़ताल यदि शुरू हो गया तो इसका परिणाम यह हो सकता है,जब पुलिस किसी नये या पुराने गम्भीर मामले या गैर जमानती

अपराध के धारा के तहत किसी आरोपी या अपराधी को गिरफ्तार करती है तो 24 घंटे के अंदर उस आरोपी को मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश करना होता है जो न्यायालय कर्मियों बिना प्रभावित हो सकती है, बिहार में प्रथम बार शराब सेवन में गिरफ्तार व्यक्ति का कोर्ट में जुर्माना लगता है वह भी प्रभावित हो सकती है, कुछ केश में हाईकोर्ट के आदेश समय पर आवेदन या मामले का निष्पादन का रहता है वह प्रभावित हो सकती है, अग्रिम और नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई लम्बित हो सकती है, पुलिस द्वारा प्राथमिकी, अंतिम प्रपत्र,केश डायरी का न्यायालय में प्रस्तुत करने का कार्य प्रभावित हो सकती है,केस के आई ओ, डाक्टर,समान्य गवाहों की गवाही, प्रभावित हो सकती है, सिविल और अपराधिक मामले की हाजिरी ,सुनवाई, निष्पादन प्रभावित हो सकती है, इससे अधिवक्ताओ और सरकारी अधिवक्ताओ का कार्य बहुत प्रभावित होगी, अधिवक्ता ने आगे बताया कि किसी वाद का दाखिला ,सम्मान, वारंट , आवेदन पर सुनवाई,बहस , निर्णय, कैदी को बंधपत्र पर छोड़ वाना प्रभावित हो सकती है,
तीन दशक पूर्व भी एक बार हड़ताल हुई थी जो लगभग एक माह चला था, अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि निम्न न्यायालय में हड़ताल का नहीं हो सकती है कोई प्रभाव – किशोर न्याय परिषद, लोक अदालत,
समाहर्ता कोर्ट, भूमि सुधार उपसमाहर्ता कोर्ट, अनुमंडलीय दंडाधिकारी कोर्ट, जिला उपभोक्ता अदालत।