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” बढ़ी ठंढ़, ठिठुरते लोग,  प्रशासन सोयी है, कुंभकर्णी निद्रा”

सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा


पुरे जिले में ठंढ का प्रकोप दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। रोज ही तापमान में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। नतीजन सुवह में स्कुल जानें वाले बच्चों के साथ – साथ रिक्सा -ठेला चलाने वाले लोग एवं खेतों में काम करनें वाले कृषक – मजदुर का जीवन जीना दुस्वार हो चुका है । बढ़ी ठंढ़ नें इन्हें

सी – सी करते सुबह तथा आह – आह करते रात बिताने को मजबुर कर दिया है। समाज में रहनें वाले गरीब तबके के लोग बिना कम्बल के रात बिताने को मजबुर है। सरकारी बाबूओं की तो खुब बढ़ी ठंढ़ नें मौज मस्ती दे रखी है। इनके पास पैसे की कमी तो है नहीं । ये तो रोज नये – नये सुट – बुट में अपने कार्यालय एसी लगी गाड़ियों से ही जाते हैं । कार्यालय के साथ – साथ घरों में भी नये रजाई, कम्बल की भरमार है। घरों में गर्मी बनाये रखनें के लिए बड़े -बड़े रूम हिटर एवं ब्लोबर लगे होते हैं। गर्मी प्रदान करनें के लिए चाय – कॉफी का दौर चलते रहता है। मारा जाता है बेचारा गरीब एवं मध्यम वर्गीय किसान मजदुर । सरकार के आपदा राहत विभाग से अभाव हीन गरीब एवं वृद्ध जनों की पहचान कर कम्बल का वितरण पूर्व के वर्षों में किये जाते रहे हैं । तो वहीं चौक – चौराहे, बस एवं रेलवे के ठहराब के स्टेशनों पर अलाव जलायी जाती थी। इस बार सरकार एवं उसके अधिकारी यह भुल भी चुके हैं कि संविधान में वर्णित कल्याणकारी योयना चलाना उनकी नैतिक जबावदेही भी है। तभी तो जनता कड़ाके की ठंढ में ठिठुर रही है तथा सरकार एवं उसके आलाधिकारी कुंभकर्णी निद्रा में सोये हुए हैं।