पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा
बिहार में सबका विकास और सभी को न्याय दिलाने का दावा तो सरकार और सरकार में बैठे लोग करते नहीं थक रहे हैं। इसका प्रचार – प्रसार भी विज्ञापन और अन्य प्रचार माध्यमों से किया जा रहा है। लेकिन धरातलीय सच्चाई यह है
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कि मानव अधिकारों का जबतक हिफाजत नहीं होगा और आयोग से समयानुसार मामले में न्याय नहीं मिलेगा तो फिर सबका विकास और सभी को न्याय का दावा हवा हवाई नहीं तो और क्या कहा जा सकता है? आज जिस तरह बिहार मानवाधिकार आयोग में मामले का सुनवाई और निष्पादन कछुआ के चाल में चल रहा है और मामले का निष्पादन तथा पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में वर्षों विलम्ब कर रहा है इससे साफ जाहिर होता है कि मानवाधिकार के हिफाजत के प्रति बिहार सरकार कंसस नहीं है। और विलम्ब से न्यायिक प्रक्रिया चलने के वज़ह से इंसाफ मर जाता है। बिहार मानवाधिकार आयोग में सैंकड़ों मामले वर्षों से लम्बित है और वाद का सुनवाई और पीड़ित पक्षों को समयानुसार इंसाफ़ नहीं मिल रहा है। इसका मूल वजह माननीय सदस्य बेंच -0 2 का पद रिक्त होना बताया जा रहा है। यदि माननीय सदस्य बेंच 02 का पद रिक्त है तो इसके लिए जिम्मेवार राज्य सरकार है। जबकि राज्य सरकार सबका विकास और सभी को न्याय की बात कर लोगों को मानों तो दिग्भ्रमित कर रही है और मानवाधिकार के प्रति उदासीनता दिखा रही है।