अम्बा (औरंगाबाद) खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिले में थानाध्यक्ष के साथ षड्यंत्र कर ग्रामीणों, समाजिक कार्यकार्ताओं तथा पत्रकारों को चुप कराने, सबक सिखाने और भयभीत करने के उद्देश्य से फर्जी मुकदमा कर तंगो तबाह करने का भी षड्यंत्र चलते रहता है। अम्बा थाना कांड संख्या 269/2023 दिनांक 14/12/204 का निष्पक्ष

जांच और प्राथमिकी दर्ज करने हेतु ग्राम पंचायत परता के मुखिया श्याम बिहारी राय उर्फ श्याम बिहारी पासवान द्वारा दिया गया हस्तलिखित आवेदन इस बात का गवाही भी दे रहा है। आवेदन को देखने और पढ़ने से एक अंधा व्यक्ति भी यह समझ सकता है कि थानाध्यक्ष के सहमति और मेल से एक षड्यंत्र और कुटरचना किया गया है। आवेदन लिखने के बाद मुखिया का आवेदन के बीच में हस्ताक्षर और फीर कुछ और लिखकर हस्ताक्षर युक्त आवेदन पर शायद ही बिहार के किसी थानों में प्राथमिकी दर्ज हुआ हो । अम्बा थाना अपवाद को छोड़कर। दरअसल मामला है कि ग्रामपंचायत परता में मुखिया श्याम बिहारी राय उर्फ श्याम बिहारी पासवान द्वारा दलित पिछड़े अल्पसंख्यक और गरीबों का उत्थान और विकास के लिए सरकार द्वारा जो राशि पंचायत में भेजा गया उसे फर्जीवाड़ा कर भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ाते हुए निर्भिकता पूर्वक लूटा गया। इस कार्य में कुछ बिचौलियों तथा भ्रष्ट अधिकारियों का भी मिली भगत रहा है। तभी तो फर्जी आमसभा और ग्रामीणों का फर्जी हस्ताक्षर बनाकर योजना पास कर लिया गया तथा रुपये का निकासी भी कर लिया गया।जब इसकी शिकायत ग्रामीणों, समाजिक कार्यकार्ताओं तथा पत्रकारों द्वारा किया गया और मामले का पर्दाफाश किया गया तो सबक सिखाने और भयभीत करने के उद्देश्य से फर्जी एससी-एसटी का मुकदमा का खेल मुखिया और मुखिया के पुत्र वधू द्वारा शुरू होता है। चुके मुखिया के पुत्र वधू का फर्ज़ी प्रमाण पत्र पर शिक्षक नियोजन का भी पर्दाफाश किया गया है। मुखिया और उनके परिजनों को 1990 के बाद अचानक रातों रात अगाध रुप से चल एवं अचल संपत्ति संग्रह करने का भी पर्दाफाश किया गया है। इतना ही नहीं पटना उच्च न्यायालय में पीएलआई भी दाखिल किया गया है।जब 12 दिसम्बर 2023 को बिहार मानवाधिकार आयोग में परिवाद दर्ज कराया गया तो मुखिया, मुखिया पुत्र ओर उनके गुर्गों द्वारा बौखलाहट में आकर जानलेवा हमला किया गया। जानलेवा हमला के बाद जब अम्बा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आवेदन दिया गया तो तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार द्वारा आवेदन लेने और प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार करने के बाद पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप से अम्बा थाना कांड संख्या 268/23 दिनांक 14/12/23 दर्ज तो किया गया लेकिन एक घंटे के बाद मुखिया को बचाने के लिए तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार और कुछ थाना के दलालों द्वारा षड्यंत्र प्रारंभ हुआ। पहले तो मुखिया के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी में सुसंगत धाराओं को नहीं लगाया गया। फीर एक अम्बा थाना कांड संख्या 269/23 दिनांक 14/12/23 इसलिए दर्ज किया गया ताकि अनैतिक दबाव बनाया जा सके और सबक सिखाया जा सके। आवेदन का अवलोकन कर एक अंधा व्यक्ती भी समझ सकता है लेकिन आखिर अम्बा थाना के अधिकारी को क्यों नहीं समझ बना यह भी यक्ष प्रश्न खड़ा करता है। उक्त घटनाओं से औरंगाबाद पुलिस का गुड़ पुलिसिंग पर तो सवाल उठता ही है साथ साथ जन-मानस में यह भी सवाल कौंध रहा है कि क्या अम्बा थाना के संरक्षण में तो सरकारी पैसे का लूट और अपराध का बढ़ावा नहीं मिल रहा है?