नवादा से डीके अकेला की रिपोर्ट
नवादा जिले के थाली थानान्तर्गत खखंदुया खदान में नये निर्माणाधीन क्रेशर प्लांट पर कार्यरत पत्थर खदान के एक कर्मी की शुक्रवार को बर्बरतापूर्ण पिटाई से मौत हो गई। ईलाज के दौरान अपोलो अस्पताल पटना में रविवार को मौत हुई। लाश को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल नवादा लाया गया। सोमवार को सुबह पोस्टमार्टम हुआ।
बताया जाता है कि नालंदा जिला के पटेल एग्रो नामक कम्पनी खखंदुआ पहाडी के कुछ हिस्से को पत्थर उत्खनन के लिए आबंटित हुआ है। पत्थर खनन के पूर्व क्रशर प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। प्लांट पर रात्री प्रहरी के रूप में खखंदुआ पहाङ के बगल नाद गांव के सुनील सिंह कार्यरत थे। शुक्रवार की रात सुनिल सिंह अपने ड्यूटी पर तैनात थे।इसी बीच रात्री में बदमाशों के एक गिरोह वहां लाठी- डंडा लेकर आ धमका।वहां पहुंचते ही अपराधियों ने सुनिल सिंह की लाठी- डंडे से निर्ममतापूर्वक पिटाई किया। बर्बर पिटाई से सुनिल सिंह बुरी तरह धायल हो गया। स्थानीय लोगों के सहयोग से धायल सुनिल सिंह को ईलाज के लिए सदर अस्पताल नवादा लाया गया। जहां सुनिल सिंह का सीटी स्कैन किया गया।डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार कर स्थिति काफी नाजुक होने के कारण बेहतर ईलाज हेतु पटना रेफर कर दिया। सुनिल सिंह के परिवार आनन-फानन में पटना के अपोलो हास्पिटल में ईलाज के लिए ले गए। जहाँ सुनिल सिंह का ईलाज शुरू हो गया। ईलाज के दौरान रविवार को सुनिल सिंह की मौत हो गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया। सोमवार को लाश पोस्टमार्टम हुआ।
उक्त मामले में मुख्य हमलावरों मुन्ना यादव, कपिल यादव, कारू यादव य
महेश यादव, सुधीर यादव समेत कई अन्य लोग शामिल थे। घटना की प्राथमिकी थाने में दर्ज कराया गया।स्थानीय पुलिस घटना की जांच – पड़ताल शुरू कर दी है।
मृतक पूर्व विधायक के काफी नजदीकी थे। मृतक सुनिल सिंह और उसके परिवार हिसुआ विधान सभा के पूर्व विधायक अनिल सिंह के बहुत नजदीकी थे। पटना अपोलो अस्पताल से सुनिल सिंह की लाश रविवार की रात पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल पहुंच गया था। पूर्व विधायक रविवार रात में नवादा सदर अस्पताल पहुंच गए। सोमवार सुबह पोस्टमार्टम के समय भाजपा नेता सह पूर्व विधायक अनिल सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल मेहता समेत कई भाजपा के कार्यकर्ता सदर अस्पताल में मौजूद थे। उक्त घटना से आम लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
घटना को लेकर कई तरह की चर्चा
घटना के पीछे रहे कारण को लेकर कई तरह की चर्चाएं हवा में तैर रही है।कुछ लोगों का कहना है कि जिले के बाहर के लोग आकर पत्थर का खनन करे,यह बदमाशों को कतई मंजुर-कबूल नहीं था। कुछ लोगों का यह भी कहना है । हमलावर बदमाशों ने भी खदान में काम देने की मांग किया था। मगर कम्पनी के संवेदक काम देने से साफ इंकार कर गया। कम्पनी के मालिक और कार्यरत कर्मियों को सबक सिखाने ,कम्पनी के काम में खलल डालने,कम्पनी में काम के लिए दबाव बनाने का सोची – समझी एक सुनियोजित साजिश है।
पुलिस जांच में सच आयेगा सामने
हलांकि, यह कटु सच है कि पुलिस अनुसंधान के बाद ही सच्चाई प्रकाश में आयेगा। लेकिन,इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नवादा में विधि-व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। हालात बेहद बेकाबू है। यहाँ हाल- फिलहाल कई ऐसी घटनाएं घटी जो पुलिसिंग सिस्टम पर कई गम्भीर सवाल खङा होता है।आखिर लाख कोशिश या तिकड़म के बावजूद भी हत्याकांड, महिला उत्पीड़न और कमजोर तबकों पर दमन का अनगिनत अंतहीन सिलसिला क्यों जारी है ? घटनाएं घटने के बजाय क्यों बढ़ते जा रहा है ? आखिर इसके लिए दोषी कौन है ? नाकामी के लिए कौन मुख्य जिम्मेदार ?