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निर्भया के बाद भी देश में जारी रहा दरिंदगी और कोलकाता के बाद भी जारी है दरिंदगी, संसद में भी बैठे हैं  बालात्कार के आरोपी

आलोक कुमार निदेशक सह संपादक खबर सुप्रभात

देश में एक दशक पूर्व यानी 2012-13 में देश के राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप और फिर हत्या के घटना से पुरे देश में मानों बवाल मच गया था। देश के सभी भागों में विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हुआ था। देश की तमाम सरकारों ने इस तरह के दरिंदगी के विरुद्ध शक्ति

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

दिखाई और ऐसे घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने की बात बताते हुए कठोर कानून भी बनाए गए। लेकिन सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों एवं बनाये गए कठोर कानून केवल शोभा का बस्तु बना रहा और देश में रेप/ बालात्कार की घटनाएं घटती रही। निर्भया कांड के बाद से बर्ष 2022 तक रिपोर्ट के अनुसार 3.23 लाख रेप/ बालात्कार की घटनाएं घटी है। कोलकाता कांड के बाद प्रत्येक दिन देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में रेप/ बालात्कार की घटनाएं सामने आया है। एक रिपोर्ट के अनुसार 14 अगस्त 2024 को कर्नाटक के कलबुर्गी में 11साल की बच्ची के साथ एक शिक्षक द्वारा रेप की कोशिश किया गया। 15 अगस्त को राजस्थान के सिरोही में 63 बर्ष के एक विधवा महिला के साथ गैंगरेप और फिर लूट का मामला प्रकाश में आया है।16अगस्त को झारखंड के जमशेदपुर में एक स्कूल के वैन के ड्राइवर नर्सरी के बच्ची के साथ रेप किया गया।18 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक प्राइवेट डाक्टर द्वारा नर्स के साथ रेप के घटना को अंजाम दिया गया। अब सवाल उठता है कि आखिर सरकार द्वारा कठोर कदम उठाए जाने के बाद और कठोर कानून बनाने के बाद भी देश में रेप/ बालात्कार जैसे दरिंदगी के घटनाओं को रोका नहीं जा रहा है आखिर क्यों? एक तरफ सरकार कठोर कदम उठाए जाने की बात कह रही है और कठोर कानून भी बना रही है और दुसरी तरफ एक सरकार दुसरी सरकार पर आरोप प्रत्यारोप लगाना तथा इस तरह के दरिंदगी पर अपना अपना राजनैतिक रोटी सेंक रही है। एनडीए के जिन प्रदेशों में सरकार है यदि वहां दरिंदगी के घटना घट रही है तो इंडिया गठबंधन चिल्ला रही है और एनडीए का चुप्पी और यदि इंडिया गठबंधन के सरकार वाले राज्यों में दरिंदगी के घटनाओं पर एनडीए चिल्ला रही है और इंडिया गठबंधन का चुप्पी सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि आज देश के संसद ( सर्वोच्च पंचायत) में भी रेप/ बालात्कार के आरोपित चुनाव जित कर पहुंच रहे हैं।यह सिर्फ आश्चर्य का विषय नहीं बल्कि राष्ट्रीय शर्म की बात है। यदि देश में स्थित यही रहा तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और महिला सशक्तिकरण सिर्फ जुमला और जनता को दिग्भ्रमित करने के शिवाय और कुछ नहीं है।और इस तरह के दरिंदगी को रोक पाना दिवा स्वप्न साबित होते रहेगा। 2019 में 3 2024 में 4 बालात्कार के आरोपी संसद में पहुंच गए हैं।