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” क्या न्यायपालिका पर भारी है कार्य पालिका – दवे जुवान से उठनें लगी है अंगुलियाँ “

मदनपुर से सुनील सिंह की रिर्पोट

किसी भी देश की शासन व्यवस्था को ठीक ढंग से चलानें एवं आम नागरिक की हितों की रक्षा करने हेतु एक सर्वोपरी संविधान होता है । भारत का भी एक लिखित विशाल काय संविधान है जिसमें न्याय पालिका, विधायिका एवं कार्य पालिका के कार्य एवं अधिकार वर्णित हैं। जव आम नागरिक

के हितों की अनदेखी कार्यपालिका करती है तो संविधान में वर्णित अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आम आदमी न्याय पाने हेतु न्यायपालिका की शरण में जाता है। न्यायपालिका के आदेश के मुतावित कार्य पालिका आम आदमी के हितों की रक्षा करती है। लेकिन मदनपुर में बुधवार को ग्राम वारा में अतिक्रमण हटाओ अभियान को देखने से तो यह सावित को जाता है कि आज भी कार्यपालिका, न्यायपालिका पर भारी है। लोगों में दवी जुवान से ऐसी चर्चाऐं करते कर गली – मोहल्ले, चौक – चौराहे, चाय की दुकानों पर सुना जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय पटना नें वादी गया सिंह द्वारा लाये गये अतिक्रमण हटाओं वाद सं. 690/24 में स्पष्ट आदेश कार्य पालिका को दिया गया है कि खाता न. 29. खेसरा सं. 23 I एवं 279 जो आम गैर मजरूआ एवं आम रास्ता की भूमि मौजा बारा में है उसे अतिक्रमण से मुक्त कराया जाया । न्यायपालिका के आदेश के आलोक में बुधवार को अंचलाधिकारी मदनपुर स्थानिय पुलिस बल के साथ बुलडोजर मशीन एवं मजदूर लेकर सरकारी जमीन पर निर्मित मकान, गौशाला, चाहरदिवारी हटाने के काम में लग गये। पुरा मकान सरकारी भूमि पर अतिक्रमन में बनें होनें के वावजूद भी उसका एक छोटा अंश मात्र कोणा भर बुलडोजर मशीन से गिरा कर अपनी पीठ थपथपाते नजर आये कि – – हो गया न्यायालय के आदेश का अनुपालन । कुछ ग्रामिणों से एक कागज पर हस्ताक्षर भी करवाये कि न्यायालय के आदेश के आलोक में सरकारी भूमि वो आम रास्ता से अतिक्रमण हटा दिया गया। आज भी यह पोख्ता मकान सिना तानकर कह रहा है कि – – देखो मुझे कोई क्या विगाड़ लेगा। थोड़ा क्षतिग्रस्त हुआ हूँ, मेरा मालिक फिर से बना लेगा। मदनपुर से पटना बहुत दूर है। कार्यपालिका है मेरा ख्याल रखने वाला। क्या कहते हैं अंचलाधिकारी — – – इस संवंध में जव अंचलाधिकारी मदनपुर से जब उनके मोबाईल न. 85 44 4 1 24 2 6 पर बात बात कर पक्ष जानना चाहा कि जव माननीय उच्च न्यायालय पटना नें मौजा बारा के खाता न. 29 खेसरा न. 2 3 1 एवं 27 9 जो आम गैर मजरूआ भूमि वो आम रास्ता है को पूर्णतः अतिक्रमण से मुक्त करानें का आदेश आपको प्राप्त है तो अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ रवाना पूर्ति की कारवाई क्यों ? इसपर कोई स्पष्ट जवाव देनें से कतराते रहे। सिर्फ कार्यालय में आयें, फिर बात करते हैं यही कहकर फोन काट दिया गया। फोटो – – अतिक्रमण हटाओ अभियान समाप्तिके बाद का ।