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अपना भूमी बचाने के लिए एक तरफ़ किसान जिलाधिकारी से गुहार लगाते रहे तो दुसरी तरफ एनपीजीसी के अधिकारी व राजद विधायक किसानों के भूमि पर पार्क बनाने के लिए जबरन भूमि पूजन करते रहे

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के नबीनगर एनपीजीसी के अधिकारी व स्थानीय राजद विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ बब्लू सिंह पर जबरन किसानों के भूमि पर पार्क बनाने का आरोप लगा रहे हैं। इस संबंध में भूस्वामी संतोष साव के अलावे अन्य भूस्वामी औरंगाबाद जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री को 8 फरवरी को आवेदन देकर अपना भूमी बचाने तथा जबरन पार्क बनाने से रोकने के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन कोई

सुनवाई नहीं हुआ और 8 फरवरी को ही एनपीजीसी के अधिकारी और स्थानीय राजद विधायक विजय सिंह एवं अन्य अधिकारी व कुछ सफेद पोष लोगों ने पार्क बनाने के लिए भूमि पूजन करते रहे। जब जिलाधिकारी से गुहार लगाने के बाद भी भूमि पूजन पर रोक नहीं लगाया गया तो किसान अंततः बेवस और लाचार होकर भूमि पूजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया तथा अधिकारियों एवं स्थानीय विधायक के विरोध में जमकर नारेबाजी करते रहे। इस खबर के जानकारी मिलते ही जब खबर सुप्रभात के प्रतिनिधि तेतरहट गांव जहां भूमी पूजन हुआ पहुंचा तो पीड़ीत किसानों का

भीड़ उमड़ पड़ा और उनके चेहरे पर चिंता के लकीरें तथा आंख में छलकते आंसू झलक रहा था। किसानों ने दर्द भरे दबे आवाज में आक्रोश प्रकट किया तथा अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि भूमि का एलपीसी भी बना हुआ है और रसीद भी कट रहा है। उसके बाद भी मेरे जमीन पर एनपीजीसी के अधिकारी और स्थानीय राजद विधायक विजय सिंह उर्फ डब्लू सिंह जिलाधिकारी के साथ मिली भगत कर भूमि पूजन किया और चंद लोगों को खुस रखने के लिए जबरन पार्क बनाना चाह रहे हैं जो किसी भी तरह से उनके नापाक मंसूबों को हम लोग पुरा नही होने देंगे। इस संबंध में जब एनपीजीसी के अधिकारियों से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क कर पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो मोबाइल के घंटी बजते रहा लेकिन संपर्क नहीं हो सका। जब तेतरहट गांव के एक अन्य ग्रामीण अरुण सिंह से मोबाइल फोन पर जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि जमीन बिहार सरकार का है और जो लोग विरोध कर रहे हैं वे न्यायालय से हार गए हैं। और उक्त भूमि पर पार्क बनाने के लिए एनओसी प्राप्त हो गया है। जब उनसे कहा गया कि एनओसी आप के पास है तो उत्तर मिलता है कि एनओसी मुखिया जी के पास है। मुखिया जी से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। लेकिन पीड़ित किसान अभी भी दावा कर रहे हैं कि भूमि मेरा है और भूमि का एलपीसी भी बना हुआ है तथा बर्तमान समय तक रसीद भी कट रहा है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि जब पीड़ीत किसानों का भूमी नहीं है और न्यायालय से पीड़ित पक्ष हार चुका है तो आखिर किसानों को एलपीसी कैसे बना और राजस्व कैसे वसुला जा रहा है जिसकी रसीद और एलपीसी भी किसानों के पास है। ऐसे में लाख टके का एक सवाल की क्या राजस्व कार्यालय में बिहार सरकार के भूमि का भी किसानों से राजस्व वसुला जाता है और एलपीसी बनाया जाता है? यदि हां तो इसके लिए आखिर जिम्मेवार कौन है? क्या स्थानीय और जिला प्रशासन, एनपीजीसी और विधायक खेल का पार्क नहीं किसान संघर्ष का पार्क तो नहीं बना रहे हैं? इसके लिए सभी पक्षों को एक रास्ता बनाना चाहिए ता कि स्थानीय स्तर पर शांति और शौहार्द कायम रह सके। तथा किसानों को प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तथा एनपीजीसी के प्रति भरोसा और विश्वास कायम रहे।