सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा
मदनपुर थानाक्षेत्र के देव मोड़ के समीप स्थित भागवत प्र. सिंह मेमोरिल बी.एड. कॉलेज परिसर में एकल विद्यालय के आचार्या का पंचदिवसीय प्रशिक्षण सह अभ्यास कार्यशाला का शुरुआत शनिवार को किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, देवी सरस्वती एवं विवेकानंद की तस्वीर पर


पुष्पांजली अर्पित कर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मंचीय अतिथियों में जितेन्द सिंह परमार उर्फ भैया जी ( आजीवन हीत चिंतक, विहीप ), अनिल सिंह, सुनील सिंह, दिलीप कुमार गुप्ता, पप्पु जी ( एकल विधालय समिति सदस्य ), ज्ञानदत्त पांडेय( प्रांतिय उपाध्यक्ष, हिन्दू महासभा ), नवीन पाठक ( जिला सह – सचिव विश्व हिन्दू परिषद् ,सुबोध कुमार ( फिल्म मेकर ), राणा आसुतोष कुमार ( सैल्यूट तिरंगा सह करणी सेना अधिकारी ) नें संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित किया । कार्यक्रम का संचालन वार मंडल के भाजपा अध्यक्ष मिथिलेश कुमार नें किया ।
कार्यक्रम को अपनें संबोधन में जितेन्द्र सिंह ‘ परमार ‘ नें कहा कि एकल विद्यालय की आचार्या को नूतन भारत की संरचना गाढ़ने एवं विवेकानंद के सपनें को साकार करनें में महती भूमिका सावित होती दिख रही है। एकल की आचार्या आज बच्चों में शिक्षा के साथ – साथ संस्कार को भी दे रही हैं। एक बालक के चरित – निर्माण में माता की भूमिका अहम होती है। यशोदा के एक इशारे पर त्रिलोक नाथ वालकृष्ण नाचते हैं। जीजा बाई नें शिवाजी को सिर्फ जन्म ही नहीं दिया, बल्कि खुद गढ़ा एवं तराशा भी है। आज शिवाजी न होते तो सनातन न बचता । वहीं अनिल सिंह नें अपनें संबोधन में कहा कि एकल की आचार्या का ही देन है कि हमारी सनातन संस्कृति सुरक्षित एवं अक्षुण है । वहीं राणा आसुतोष सिंह नें कहा कि आज देश में लभजिहाद एवं धर्मांतरण का मामला तेजी से विधर्मियों के द्वारा चलाया जा रहा है, जिसे लगाम लगानें की दिशा में एकल विद्यालय की आचार्या मिल का पत्थर सावित होती दिख रही हैं।
ज्ञानदत्त पांडेय नें अपनें धन्यवाद ज्ञापण में उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में नारी – शक्ति का प्रबल योगदान रहा है । नारी कभी माँ, तो कभी बेटी, कभी दुर्गा, तो कभी रण चंडीका का अवतार लेकर सदैव ही सनातन की रक्षा करती रही हैं। आज सौभाग्य की बात है कि हमारी राष्ट्रपति महोदया आदरणीय दौपदी मुर्मु जी भी एकल विद्यालय से ही संवंध रखती हैं।
कार्यक्रम में एकल विद्यालय की मदनपुर, देव, औरंगाबाद एवं कोंच संच से आये आचार्या – आचार्य एवं प्रशिक्षकों नें बड़ी संख्या में हिस्सा लिया ।
