पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ वी.सुरेश और श्री जयरामन पर किये हमले की नवादा जिला इकाई ने घोर निंदा की

डीके अकेला का रिपोर्ट

मानवाधिकार से जुड़े लोक स्वातंत्रय संगठन ( पीयूसीएल ) पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के के संस्थापक लोकनायक जयप्रकाश नारायण व प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश V. M.तारकुंडे थे. पीयूसीएल नवादा जिला इकाई ने पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश पर किये सुनियोजित हमले की कड़ी निंदा करते हुए शीघ्र न्यायिक जाँच कर हमलावरों को न्यायोचित दंड देने की मांग की है. पीयूसीएल के राष्ट्रीय पार्षद दिनेश कुमार अकेला,नवादा जिला इकाई के अध्यक्ष सह राज्य पार्षद डॉ ओंकार निराला ने वी.सुरेश और श्री जयरामन पर किये हमले की नवादा जिला इकाई ने घोर निंदा की. मानवाधिकार से जुड़े लोक स्वातंत्रय संगठन ( पीयूसीएल ) पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश पर हमले की कड़ी निंदा करते हुए शीघ्र न्यायिक जाँच कर हमलावरों को न्यायोचित दंड देने की मांग की है. पीयूसीएल के राष्ट्रीय पार्षद दिनेश कुमार अकेला,नवादा जिला इकाई के अध्यक्ष सह राज्य पार्षद डॉ ओंकार निराला उक्त दर्दनाक एवं शर्मनाक हृदयविदारक क्रूर घटना को अमानवीय करार देते हुए इसकी घोर निंदा की है. यह इंसानियत और मानवता के नाम पर एक काला धब्बा व अमिट कलंक नहीं तो फिर क्या है ?यह तो अभिव्यक्ति के मूल संवैधानिक अघिकार पर क्रूर-कठोर हमला है.यह हमला सुनियोजित पूर्ण सरकार संरक्षित भूमि,पहाड़,लकड़ी व खनीज की अकूत भंडार को गैर कानूनी ढंग से हड़पने वाले ज़ालिम माफियाओं की क्रूर काली करतूत व दस्तूर है. ज्ञात हो कि यह हमला तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में अरप्पोर इयक्कम द्वारा आयोजित एक बहुमूल्य जन उपयोगी महत्वपूर्ण जन-सुनवाई कार्यक्रम के दौरान हुआ,जिसमें स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अवैध पत्थर खनन से उत्पन्न सामाजिक और पर्यावरणीय जैसे ज्वलंत समस्याओं पर वृहद चर्चा की जा रही थी,जो माफियाओं को काफ़ी नागवार गुजरा.हमले का मूल कारण या मकसद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध के संवैधानिक अधिकार से बंचित करना हैऔर साथ ही साथ आदिवासियों के जल,जंगल, जमीन पर कायम परम्परागत अधिकार से बेदखल कर हड़पइनमा कर लेने की मुख्य नापाक मंशा है.चंद सिक्के के टुकड़ों पर पुलिस माफियाओं की खिदमत दारी में एक पैर पर खड़े होकर ठोस उचित करवाई की जगह उलटे सह व संरक्षण हमलावरों को देने के लिए निर्लज्जतापूर्वक बेहद व्यग्र एवं बहुत बेसब्री से तुली हुई है.

घटना के मुख्य बिंदु:

  • हमला: पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश पर किये गये शाजिसपूर्ण षड्यंत्र के तहत योजनाबद्ध तरीके से जानलेवा जोरदार हमला सत्ता संरक्षित भ्रष्ट पत्थर खदान मालिकों के अपराधी वकीलों द्वारा किया गया. जिन्होंने उक्त जन-सुनवाई को बाधित करने की भरपूर कोशिश की। इस घृणित व कातिलाना क्रूर सुनियोजित हमले में पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ वी. सुरेश व श्री नारायणन समेत अन्य लोग बुरी तरह घायल हो गये. हमले में घायलों का ईलाज नजदीकी सरकारी अस्पताल में चल रहा है. इलाजरत डॉक्टरों ने बताया कि सभी घायल अब खतरे से बाहर हैं, लेकिन बहुत दर्द है और गहरी चोट है.
  • मांग: पीयूसीएल ने तमिलनाडु सरकार से पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश, श्री जयरामन और इस संघर्ष से जुड़े सभी लोगों की पुख्ता सुरक्षा की सुनिश्चित गारंटी करने की मांग की है।
  • संवैधानिक अधिकार: पीयूसीएल ने कहा कि यह हमला संवैधानिक अधिकारों, मानवीय मूल्यों और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है।पुलिस की मौजूदगी में उक्त घटना घटी, जो लोकतंत्र व संविधान और मानवाधिकार पर खुले कठोर क्रूर कुठराघात है. यह इंसानियत और मानवता को शर्मसार व कलंकित कर झकझोर दिया है.यह लोकतान्त्रिक नहीं,पूर्ण तानाशाही,ब्राह्मणवादी,मनुवादी चरित्र व मान्सिकता का द्योतक, खुले इजहार और प्रत्यक्ष ताज़ा प्रमाण नहीं तो और यह क्या है ?
  • समर्थन: पीयूसीएल ने कहा कि वे उन सभी के साथ पूर्ण दृढ़ता और भरपूर साहस के साथ खड़े हैं व रहेंगे,जोअपने अनमोल संवैधानिक मूल्यों,नागरिक सुरक्षा व मानवाधिकार की रक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाते हैं।
  • घोषणा : * हमले से पीयूसीएल की आवाज न तो दबने वाला है और बढ़ते यह कारवाँ अब कभी भी रुकने वाली नहीं है.प्रत्येक क्रिया के समान और प्रतिक्रिया का होना भी तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत ही लाजमी व स्वभाविक है.हमले जितने तेज होंगे, विरोध और प्रतिरोध की आवाज़ उतनी ही उग्र,सबल व तीब्र होगा.
    पीयूसीएल ने पुलिस के आला अधिकारियों से सभी हमलावरों को अविलम्ब गिरफ्तार करने और उन पर आपराधिक मामले दर्ज कर स्पीडी ट्रायल के जरिये क़ानून सम्मत उचित दंड दिलाने की मांग की है। पीयूसीएल का संघर्ष तबतक शांतिपूर्ण जनतान्त्रिक तरीके से यह धाराप्रवाह अनवरत द्रुतगति से जारी रहेगा,जबतक उचित व संतोषजनक न्याय नहीं मिल जाता है.
  • पीयूसीएल के राष्ट्रीय पार्षद दिनेश कुमार अकेला और राज्य पार्षद सह नवादा जिला के अध्यक्ष
    ओंकार निराला उक्त दर्दनाक एवं शर्मनाक हृदयविदारक क्रूर घटना को अमानवीय करार देते हुए इसकी घोर निंदा की है. यह इंसानियत और मानवता के नाम पर अमिट कलंक नहीं तो फिर क्या है ? उन्होंने कहा कि यह अभिव्यक्ति के संवैधानिक अघिकार पर क्रूर-कठोर हमला है.यह हमला सुनियोजित पूर्ण सरकार संरक्षित भूमि,पहाड़,लकड़ी व खनीज की अकूत भंडार को गैर कानूनी ढंग से हड़पने वाले ज़ालिम माफियाओं की क्रूर काली करतूत व दस्तूर है. ज्ञात हो कि यह हमला तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में अरप्पोर इयक्कम द्वारा आयोजित एक बहुमूल्य जन उपयोगी जन-सुनवाई कार्यक्रम के दौरान हुआ,जिसमें स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अवैध पत्थर खनन से उत्पन्न सामाजिक और पर्यावरणीय जैसे ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा की जा रही थी,जो माफियाओं को काफ़ी नागवार गुजरा.हमले का मूल कारण या मकसद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध के संवैधानिक अधिकार से बंचित करना हैऔर साथ ही साथ आदिवासियों के जल,जंगल, जमीन पर परम्परागत अधिकार से बेदखल कर हड़पइनमा कर लेने की मुख्य नापाक मंशा है.चंद सिक्के के टुकड़ों पर पुलिस माफियाओं की खिदमत दारी में एक पैर पर खड़े होकर ठोस उचित करवाई की जगह उलटे सह व संरक्षण हमलावरों को देने के लिए निर्लज्जतापूर्वक बेहद व्यग्र एवं बहुत बेसब्री से तुली हुई है.

घटना के मुख्य बिंदु:

  • हमला: पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश पर शाजिसपूर्ण षड्यंत्र के तहत ही योजनाबद्ध तरीके से जानलेवा जोरदार हमला सत्ता संरक्षित भ्रष्ट पत्थर खदान मालिकों के अपराधी वकीलों द्वारा किया गया, जिन्होंने जन-सुनवाई को बाधित करने की कोशिश की।इस कातिलाना क्रूर हमले में पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ वी. सुरेश,श्री नारायणन समेत अन्य लोग बुरी तरह घायल हो गये. हमले में घायलों का ईलाज नजदीकी सरकारी अस्पताल में चल रहा है. इलाजरत डॉक्टरों ने बताया सभी घायल अब खतरे से बाहर हैं, लेकिन बहुत दर्द है.
  • मांग: पीयूसीएल ने तमिलनाडु सरकार से पीयूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी. सुरेश, श्री जयरामन और इस संघर्ष से जुड़े सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित गारंटी करने की मांग की है।
  • संवैधानिक अधिकार: पीयूसीएल ने कहा कि यह हमला संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध है।पुलिस की मौजूदगी में उक्त घटना घटी, जो लोकतंत्र व संविधान और मानवाधिकार पर खुले कठोर क्रूर कुठराघात कर शर्मसार व कलंकित कर दिया है.यह लोकतान्त्रिक नहीं, तानाशाही,ब्राह्मणवादी,मनुवादी चरित्र व मान्सिकता का खुले इजहार और प्रत्यक्ष ताज़ा प्रमाण नहीं तो और यह क्या है ?
  • समर्थन: पीयूसीएल ने कहा कि वे उन सभी के साथ दृढ़ता और भरपूर साहस के साथ खड़े हैं व रहेंगे,जो संवैधानिक मूल्यों, नागरिक सुरक्षा व मानवाधिकार की रक्षा के लिए अपनी आवाज़ उठाते हैं।
  • घोषणा : * हमले से पीयूसीएल की आवाज दबने और बढ़ते यह कारवाँ अब कभी भी रुकने वाली नहीं है.प्रत्येक क्रिया के समान और प्रतिक्रिया का होना भी तो लाजमी व स्वभाविक है.हमले जितने तेज होंगे, विरोध और प्रतिरोध भी आवाज़ उतनी ही सबल व तीब्र होगा.
    पीयूसीएल ने पुलिस के आला अधिकारियों से सभी हमलावरों को अविलम्ब गिरफ्तार करने और उन पर आपराधिक मामले दर्ज कर स्पीडी ट्रायल के जरिये क़ानून सम्मत उचित दंड दिलाने की मांग की है। पीयूसीएल का संघर्ष तबतक शांतिपूर्ण जनतान्त्रिक तरीके से यह धाराप्रवाह अनवरत द्रुतगति से जारी रहेगा,जबतक उचित व संतोषजनक न्याय नहीं मिल जाता है।